फाल्गुन मास में इनकी आराधना से मिलती है विशेष कृपा
हिंदू पंचाग का आखिरी महीना फाल्गुन मास होता है। इसको फागुन मास भी कहा जाता है। इस माह के बाद हिंदू नववर्ष का प्रारंभ हो जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार नववर्ष का पहला महीना चैत्र और आखिरी फाल्गुन होता है। इस साल फाल्गुन का महीना 10 फरवरी सोमवार से प्रारंभ हो रहा है, जिसका समापन 9 मार्च को होगा। इस दौरान कई बड़े त्यौहार और तिथियां होगी और उन तिथि त्यौहारों पर देवी-देवता की आराधना की जाएगी। इस मास के प्रारंभ होते ही मौसम गर्म होने लगता है और सर्दी की विदाई होने लगती है।
शिव आराधना से मिलती है महादेव कृपा
फाल्गुन मास में बसंत ऋतु का समय होता है इसलिए चारों और छटा काफी निराली होती है। फाल्गुन मास में महादेव का प्रिय त्यौहार महाशिवरात्रि आता है। इसके साथ ही रंगों का त्यौहार होली भी इसी महीने आता है। महाशिवरात्रि पर जहां शिव पूजा का विशेष विधान है तो होली के अवसर पर देश का हर कोना रंगों से सराबोर रहता है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा को महर्षि अत्रि और देवी अनुसूया से चंद्रमा की उत्पत्ति हुई थी। इस कारण इस दिन चंद्रमा की विशेष आराधना कर चद्रमा से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की जाती है।
फाल्गुन मास की द्वादशी तिथि का भी विशेष महत्व है। यदि फाल्गुन द्वादशी श्रवण नक्षत्र युक्त हो तो इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से उनकी कृपा मिलती है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को दक्षिण भारत में उत्तिर नाम का मंदिरोत्सव मनाया जाता है। फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को देवी लक्ष्मी और सीता की विशेष पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
इस मास में ये रखें सावधानियां
फाल्गुन मास में सामान्य जल से स्नान करना चाहिए। भोजन हल्का लेना शुरू करना चाहिए। अनाज कम और फल ज्यादा खाना चाहिए। उत्तम वस्त्र धारण कर सुंगध का प्रयोग करें। तामसिक आहार से परहेज करें और नशे का त्याग करें। भगवान श्रीकृष्ण की आराधना विभिन्न तरह के सुगंधित फूलों से करें।