14 साल से कीड़ो ने बना रखा था युवक के दिमाग में आशियाना
14 साल से तेज सिरदर्द झेल रहे एक व्यक्ति को जरा भी अंदाजा नहीं था कि उसका दिमाग कीड़ों का घर बनता जा रहा है. डॉक्टर्स ने जब उसके दिमाग का एमआरआई किया तो पता चला उसमें लगभग 14 साल से कीड़े (टेपवॉर्म) पल रहे थे, जो अब धीरे-धीरे उसे मौत की तरफ लेकर जा रहे थे.
टेक्सास में रहने वाले 40 वर्षीय गेरार्डो मॉक्टेजुमा शुरुआत में तेज सिरदर्द होता था. बर्दाश्त के बाहर इस दर्द के साथ उन्हें उल्टियां होती थी और तेज चक्कर आता था. इस दर्द से राहत पाने के लिए जब गेरार्डो ने डॉक्टर्स से इसकी जांच कराई तो उन्हें पहली बार इसकी वजह पता चली.
दरअसल, गेरार्डो के दिमाग में कीड़े प्रवेश कर चुके थे और उनके अंडे देने से उसकी समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी. एसेंशन सेटन मेडिकल सेंटर के न्यूरॉलॉजिस्ट जॉर्डन अमाडियो ने बताया कि हमें समय रहते गेरार्डो की जान बचा ली.
एमआरआई के जरिए पता चला कि कीड़े उसके दिमाग की चौथी वेंट्रिकल में दाखिल हो चुके हैं जिससे दिमाग को वो हिस्सा सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूड से भर गया था.
दिमाग में कीड़े पड़ने या कीड़ों की अंडे देने की इस अवस्था को मेडिकल साइंस की भाषा में न्यूरोसिस्टीसरकोसिस कहा जाता है. जॉर्डन अमाडियो के अनुसार, अगर गेरार्डो का इलाज न किया जाता तो जल्दी ही उसकी मौत भी हो सकती थी.
जॉर्डन अमाडियो ने बताया कि गेरार्डो के दिमाग में यह कीड़ा काफी वक्त से था. यह कीड़ा पहले शरीर में दाखिल हुआ होगा और फिर दिमाग तक पहुंचा होगा. उनके दिमाग में कीड़ा उस वक्त दाखिल हुआ होगा जब वह मेक्सिको में रहते थे. यहां इलाज के लिए आने से करीब 14 साल पहले ही वह अमेरिका आए थे.
सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक, न्यूरोसिस्टीसरकोसिस के बेहद कम मामले सामने आते हैं, लेकिन अमेरिका में हर साल इसके करीब 1000 मरीज देखने को मिलते हैं.
बता दें कि कुछ समय पहले भारत में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था जहां 8 साल की विदिशा (बदला हुआ नाम) के माता-पिता तब हैरान रह गए जब उन्हें पता चला कि उनकी बेटी का ब्रेन टेपवॉर्म अंडे से संक्रमित है.
विदिशा को करीब 6 महीनों से सिर में बहुत तेज दर्द होता था और मिर्गी के दौरे आ रहे थे जिसके बाद उसे फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.
सीटी स्कैन में पता चला कि उसके ब्रेन में 100 से ज्यादा सिस्ट्स थे जो टेपवॉर्म एग्स ही थे. टेप वॉर्म एग उसके पेट से होते हुए खून के प्रवाह के जरिए ब्रेन तक पहुंच गए थे.
डॉक्टरों के मुताबिक, शुरुआती लक्षणों से न्यूरोसिस्टीसरकोसिस बीमारी का पता चला. इससे दिमाग में सूजन आ गई थी. उसका वजन 20 किलो. तक बढ़ गया था. वह ना तो ठीक से सांस ले पा रही थी और ना ही चल पा रही थी.
सूजन को कम करने के लिए उसे लंबे समय तक काफी हैवी डोज की दवा दी गई लेकिन कुछ असरदार साबित नहीं हुआ. इसके बाद भी विदिशा की हालत ठीक नहीं हुई. डॉक्टरों ने जब सीटी स्कैन किया तो ब्रेन में 100 से ज्यादा सिस्ट दिखे. डॉक्टरों ने इसे टेपवर्म अंडे बताया.
बीमारी का पता चलने के बाद ऑपरेशन कर उसके ब्रेन से अंडे बाहर निकाले जिसके बाद उसकी हालत में सुधार हो सका.
यह इन्फेक्शन टेपवर्म संक्रमित खाना खाने से हुई थी. नर्व सिस्टम के जरिए अंडे दिमाग में पहुंच जाने पर वह न्यूरो-सिस्टीसरकोसिस से ग्रस्त हो गई, जिससे उसे गंभीर सिरदर्द, मिर्गी के दौरे महसूस होने लगे.
विदिशा के पिता ने कहा, हमें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि हमारी स्वस्थ और खुशमिजाज बेटी इतनी भयंकर बीमारी से जूझ रही है. हम खुद को बहुत ही भाग्यशाली समझते हैं कि हम यहां समय पर पहुंच गए और सही इलाज हो सका.
फोर्टिस हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी के डायरेक्टक डॉक्टर प्रवीण गुप्ता ने बताया, मांस, फूलगोभी और कुछ फलों को खाने से टेपवर्म का कीड़ा पेट के रास्ते मस्तिष्क में चला जाता है. वहां पर अंडे देना शुरू कर देता है.
समय पर इलाज न मिलने से यह जानलेवा भी हो सकता है. अंडे की वजह से अक्सर सेंट्रल नर्व के जरिए न्यूरोसिस्टीसरकोसिस, कंकाल की मांसपेशियों, आंखों और त्वचा प्रभावित होने लगते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गैनाइजेशन (WHO) ने केंद्रीय नर्वस सिस्टम में टेपवर्म इन्फेक्शन के होने को मिर्गी की सबसे बड़ी वजह बताया है.