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बच्‍चे कर सके मन लगा के पढ़ाई, इसलिए रेलवे कोच को बदल दिया क्‍लास रूम में



मैसूर. कर्नाटक के मैसूर शहर के अशोकापुरम की रेलवे कॉलोनी के प्राइमरी स्कूल में रेलवे ने दो पुराने कोच को कलरफूल क्लासरूम में बदला है। ताकि बच्चे पढ़ाई का आनंद उठा सकें। इन कोच को नाली-काली नाम दिया गया है। कन्नड़ भाषा में इसका मतलब सीखने का आनंद है। इन दोनों कोच में सभी तरह की व्यवस्था है। यहां पानी, बिजली (पंखे और बल्ब) और सफाई का विशेष ध्यान रखा गया है।

अफसरों ने बताया कि इन्हें क्लासरूम में बदलने का मकसद आसपास के बच्चों की पढ़ाई के लिए सुरक्षित और बेहतर जगह उपलब्ध कराना है। एक कोच के अंदर चौथी और पांचवीं की दो कक्षाएं लगती हैं। इसमें बच्चों को नंबर समेत अन्य तरह के चार्ट और आकृतियां भी बनाईं गई हैं। दूसरे कोच का इस्तेमाल हॉल के तौर पर किया जा रहा है। यहां बैठक के अलावा दूसरी एक्टिविटीज की जाती हैं। कोच को अंदर से ही नहीं, बल्कि बाहर से भी ग्रीन एन्वायरमेंट और एजुकेशन थीम के तहत पेंट किया गया है। इस पर जल चक्र और सौर मंडल बनाया गया है। बच्चों की जरूरतों के मुताबिक, इन कोच में दो बायोटॉयलेट भी लगाए गए हैं।

कोच की बिजली के लिए एक सब स्टेशन बनाया
एक वर्कशॉप के दौरान दक्षिण-पश्चिम रेलवे के महिला संगठन की अध्यक्ष सुजाता सिंह ने इनका उद्घाटन किया। दक्षिण-पश्चिम रेलवे हुब्बाली के जनरल मैनेजर अजय कुमार सिंह ने कोच के लिए बिजली उपलब्ध कराने के लिए एक सब स्टेशन भी तैयार कराया है। यहां दूसरी सुविधाओं में बेडमिंटन कोर्ट, वुडन फ्लोर आदि भी तैयार किया गया है।

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