सिर्फ मध्यप्रदेश के इस स्थान पर मिलती है यह दुर्लभ घास, हाथ लगाना भी है मना
पचमढ़ी के पहाड़ों में लगी दुर्लभ 'साइलोटम" घास को अब भारत सरकार के राजपत्र में शामिल करने की तैयारी है। इस पर शोध कर रहे वनस्पति शास्त्रियों की अनुशंसा के बाद शासकीय पीजी कॉलेज पिपरिया के वनस्पति शास्त्री डॉ, रवि उपाध्याय ने मप्र जैव विविधता बोर्ड को पत्र लिखा है।
डॉ. उपाध्याय के मुताबिक 'साइलोटम' की उत्पत्ति पौराणिक काल की मानी गई है। जो पूरे विश्व में सिर्फ पचमढ़ी में खास स्थान पर अल्प मात्रा में पाई जाती है। देशभर के वैज्ञानिकों के लिए यह कौतुहल का विषय है। इसे अति दुर्लभतम प्रजाति का माना जा रहा है। इसी कारण इसके शोध पर रोक है। मप्र जैवविविधता बोर्ड के जिला समन्वयक व सेवानिवृत्त सहायक वन क्षेत्रपाल व वनस्पति शास्त्र विशेषज्ञ आरआर सोनी के मुताबिक राज्य वन अनुसंधान केंद्र ने इसे छूने पर रोक लगा रखी है, ताकि इसे नुकसान न हो।
41 साल पहले हुई थी शोध की कोशिश
वर्ष 1979 के पहले कु छ वनस्पति शास्त्रियों ने शोध करने की कोशिश की थी, लेकि न सिर्फ इतना ही पता चल सका था कि यह शरीर के पाचन तंत्र को ठीक करने में बेहद कारगार है। इसके बाद इस पर शोध करने पर पाबंदी लगा दी गई थी। सोनी ने बताया कि वे जब शासकीय नौकरी में थे तब भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षण में इसके बारे में बताते थे। अब इसे सिर्फ दूरबीन के जरिए दिखाया जाता है, वहां तक किसी को नहीं जाने दिया जाता। यह स्थान विभाग के कुछ खास जानकारों को ही पता है।