श्रीमद् भागवत कथा में हुआ रूक्मणी विवाह
धन्य है यह अवंतिका नगरी जहां स्वयं श्रीकृष्ण भी पढ़ने आए-पंडित व्यास
उज्जैन। अवंतिका नगरी सात पुरियों में एक पूरी है जहां देवता भी आकर अपना पुण्य जुटाते हैं। अवंतिका नगरी जहां श्री कृष्ण बलराम जी के साथ गुरु सांदीपनि जी के यहां पढ़ने आए। जहां भगवान ने 64 दिन रुक कर अपने गुरु जी की सेवा कर 64 कलाओं का अध्ययन किया। यह अवंतिका नगरी के गुरु जी का सामर्थ रहा, जिन्होंने जगतगुरु रूपी श्री कृष्ण को भी सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद प्रदान किया। यह नगरी शिक्षा की नगरी है ज्ञान की नगरी है। जहां शिप्रा का किनारा, महाकाल का आंगन, हरसिद्धि मां की गोद, काल भैरव की रक्षा और चिंतामन गणेश का सहारा अवंतिका के मुख्य आधार हैं।
उक्त बात श्री नागेश्वर महादेव मंदिर ढाँचा भवन प्रांगण में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के छठे दिन की कथा में अवंतिका नगरी की महिमा का व्याख्यान करते हुए आचार्य पंडित सुनील कृष्ण व्यास ने कही। आपने कहा हम भाग्यशाली हैं जो परमात्मा ने हमें अवंतिका नगरी में जन्म दिया। आपने कथा में रासलीला का महत्व समझाते हुए कहा रास की कथा को सुनने से मानव जीवन में काम रूपी जो हृदय रोग हो जाता है उसका रास की कथा से नाश होता है। कथा में भगवान श्री कृष्ण की द्वारिका लीला का मार्मिक वर्णन कर रुकमणी श्री कृष्ण का सुंदर विवाह की कथा का वाचन किया गया। पूरा पांडाल भगवान के विवाह उत्सव में प्रफुल्लित हो आनंद उमंग में भर गया। श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का आज सुदामा चरित्र और विशाल भंडारे के साथ समापन होगा।