ग्रहण काल के दौरान किया गया जप-तप होता है कई गुना फलदायी
सूर्य ग्रहण के दौरान की गई साधना और जप-तप का अनन्त गुना फल मिलता है। मान्यता है कि ग्रहण की के दौरान मंत्र जाप करने वह सिद्ध हो जाया है और काफी फलदायी होता है। ग्रहण का प्रभाव मानव के शरीर के साथ उसके मन पर भी पड़ता है इसलिए सूतक के समय से ही खाने-पीने से दूरी बनाकर सात्विक रहकर देव आराधना मानसिक रूप से करने की सलाह दी जाती है।
सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है। सामान्यत: सूतक काल में शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। ग्रहण काल में सूतक काल लगता है। ग्रहण के समय 12 घंटे से पूर्व ही सूतक काल आरम्भ हो जाता है। ग्रहण का सूतक ग्रहण समाप्ति के मोक्ष काल के बाद स्नान पूजा स्थलों को फिर से पवित्र करने की क्रिया के बाद ही समाप्त होता है। सूर्य ग्रहण के दौरान 12 घंटों के लिए सूतक काल लगने पर देवालयों के पट बंद कर दिए जाते हैं। ऐसे सें पूजा, आराधना निषेध माना जाता है।
ग्रहण और सूतक काल में क्या करें
सूर्य ग्रहण के दौरान शुभ कार्यों का निषेध होता है. जबकि जप आदि काम कर सकते है। ऐसे समय जप का अनन्त गुना फल मिलता है। इसलिए इस दौरान जप करने का विधान है। इस दौरान किया गया जप सिद्ध हो जाता है। इस दौरान पकाया हुआ खाना दूषित हो जाता है इसलिए ग्रहण का सूतक लगने से पहले ने पीने की वस्तुओं में तुलसी दल अवश्य डालें। घर में यदि छोटे बच्चे हैं तो उनको सूतक काल के समय बिलकुल अकेला न छोड़ें। नवजात शिशु का इस दौरान खास ख्याल रखें। गर्भवती महिलाओं पर सूतक काल का विशेष प्रभाव पड़ता है इसलिए इस दौरान सूर्य किरणों के प्रभाव में नहीं आना चाहिए।
ग्रहण की छाया गर्भ पर नहीं पड़ना चाहिए। यदि घर में मंदिर है तो इस दौरान मंदिर के पट बंद कर दें या दरवाजे नहीं है तो परदा डाल दे। यदि किसी प्रकार की सिद्धी प्राप्त करना हो तो, सूतक काल में अपने इष्ट देव या देवी- देवता का जाप करें। ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में रखा हुआ पानी बदल दें। ग्रहण के समाप्त होने पर पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें नही तो घर पर स्नान कर शुद्धिकरण की प्रक्रिया पूर्ण करें। ग्रहण का सूतक काल समाप्त होने पर जरूरतमंदों को दान करें। इस दौरान दिए गए दान का अनन्त गुना फल प्राप्त होता है। ग्रहण काल के दौरान पहने गए वस्त्रों को किसी को दान करें या उतार कर कहीं पर छोड़ दें।