top header advertisement
Home - जरा हटके << दूसरों के घर का चिराग रहे सलामत, इसलिए पिता ने बेटे की तेहरवीं पर बांटे हेलमेट

दूसरों के घर का चिराग रहे सलामत, इसलिए पिता ने बेटे की तेहरवीं पर बांटे हेलमेट



दमोह।  नम आंखें, रुदन से कांपती आवाज और दुख से भरे गले से निकलते शब्द उस शिक्षक की पीड़ा साफ बयां कर रहे थे, जिसने चंद रोज पहले ही एक हादसे में अपने 25 साल के जवान बेटे को खो दिया था। मंगलवार को अपने बेटे की तेरहवीं पर उसकी स्मृति में शिक्षक पिता ने गांव के 51 युवाओं को हेलमेट बांटे और उनसे कहा कि बाइक धीमे चलाना और हेलमेट जरूर पहनना ताकि वह किसी अनहोनी पर सुरिक्षत रह सकें। तेजगढ़ गांव निवासी शिक्षक महेंद्र दीक्षित के बड़े बेटे लकी की 20 नवंबर की रात झलौन से 15 किमी दूर ससना व सर्रा गांव के बीच व्यारमा नदी पर बने राजघाट पुल पर हादसे में मौत हो गई थी। लकी रात में अपनी बाइक से सर्रा गांव से अपने घर तेजगढ़ आ रहा था। लेकिन उसने यह गलती कर दी कि रात होने के कारण उसने हेलमेट निकाल दिया। राजघाट पुल पार करते समय एक भैंस से उसकी बाइक टकरा गई और मौके पर ही मौत हो गई। लकी का शव रात भर पुल पर ही पड़ा रहा। सुबह जब लोगों ने देखा तो स्वजन तक सूचना पहुंची।

सिर में आई थी चोट
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लकी की मौत का कारण सिर में लगी चोट थी। शिक्षक महेंद्र दीक्षित बच्चों को बेहतर शिक्षा देने और उत्कृष्ट कार्यों के लिए जाने जाते हैं लेकिन अपने बेटे की मौत ने उन्हें झकझोर दिया। उन्हें लगा कि आस-पास किसी के बेटे की मौत इस लापरवाही के कारण अब न हो।

माता-पिता से कहा-बाइक दे सकते हैं तो हेलमेट भी दें
महेंद्र दीक्षित का कहना है कि दूसरों के बच्चों की वाहन दुर्घटनाओं में मौत की खबर सुनने पर एक सामान्य दुख होता था और चंद घंटे में उसे भूल भी जाते थे, लेकिन जब उनके बेटे की मौत हुई तो उन्हें जो पीड़ा हो रही है, उसे केवल वही और उनका परिवार महसूस कर सकता है। इसलिए वह नहीं चाहते कि किसी और के बेटे के साथ ऐसा हादसा हो और परिवार को जीवन भर का दुख मिल जाए। उन्होंने सभी माता-पिता से भी अपील की है कि यदि बच्चों को बाइक खरीदकर दे सकते हैं तो उन्हें एक हेलमेट भी दें और उसे लगाने के लिए भी बाध्य करें। महेंद्र दीक्षित ने गंगाजली पूजन पर कन्याओं को भी भोजन के लिए आमंत्रित किया था।

Leave a reply