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चंपा छठ : आज के दिन भगवान को लगाया जाता है इस सब्‍जी का भोग



सनातन संस्कृति त्यौहारों, परंपराओं और विभिन्न तरह के राग-रंग से समृद्ध है। माह की सभी तिथियां देवी- देवताओं को समर्पित है इसलिए इनकी आराधना उत्सवी माहौल में धूमधाम से की जाती है। परंपरा का निर्वाह करने के लिए विभिन्न तरह के पकवान मनाए जाते हैं और श्रद्धाभाव से उनको देवी-देवता को समर्पित कर महाप्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता हैं। ऐसी ही एक तिथि अगहन मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि है, जिसको चंपा षष्ठी और बेंगन छठ भी कहा जाता है। इस बार चंपा षष्ठी 2 दिसंबर सोमवार को है।

चंपा षष्ठी को वैसे भी काफी शुभ माना जाता है, लेकिन सोमवार को इस दिन सर्वार्थ सिद्धि का योग बन रहा है इसलिए इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू किए गए सभी काम सफल और शुभ फलदायी होते हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग में की गई आराधना शीघ्र सिद्ध होती है।

भगवान कार्तिकेय ने किया था तारकासुर का वध
शास्त्रोक्त मान्यता है कि भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने इसी दिन यानी चंपा छठ को तारकासुर का वध किया था और स्वर्गलोक के देवताओं को इस असूर से मुक्ति दिलवाई थी। इसलिए चंपा छठ के दिन भगवान शिव के मार्कंडेय स्वरूप और भगवान कार्तिकेय की पूजा का प्रावधान है।

देवता को लगता है बैंगन का भोग
चंपा छठ के दिन भगवान मार्कंडेय को बैंगन का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान का भविष्य उज्जवल होता है और उसको आरोग्य मिलता है साथ ही संतान को किसी भी क्षेत्र में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

चंपा छठ को ऐसे करें देव आराधना
सूबह के समय शिव आराधना करें इसके लिए शिव मंदिर जाएं। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, अबीर, गुलाल, कुमकुम, वस्त्र, मदार का फूल, धतूरा, बिलपत्र, सुगंधित फूल, मिष्ठान्न, ऋतुफल, पंचमेवा, पंचामृत आदि समर्पित करें। ओम नम: शिवाय के मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद आरती कर पूजा का समापन करें।

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