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बड़वानी के आश्रम में नजर आया दुर्लभ सफेद कौआ


बड़वानी।  नर्मदा किनारे ग्राम दतवाड़ा के चंगा आश्रम में चार दिनों से एक पक्षी कौतुहल का विषय बना हुआ है। इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ दिनों दिन बढ़ रही है। शरीर रचना में कौवे की तरह दिखने वाले इस पक्षी में असमानता सिर्फ रंग की है। ग्रामीण पक्षी को दुर्लभ सफेद कौवा बता रहे हैं।

दतवाड़ा के जितेंद्र राजपूत ने बताया कि चंगा आश्रम के आसपास पेड़ों और बिजली के तारों बैठे इस पक्षी को कई लोगों ने देखा है। बुजुर्गों का कहना है कि इस तरह का पक्षी क्षेत्र में पहले कभी दिखाई नहीं दिया है। सामान्य कौवे और इस पक्षी में फर्क सिर्फ इतना है कि कौवे जहां समूह में रहते हैं, यह अकेला ही दिखाई दे रहा है। कु छ लोगों ने तो इसे क्षेत्र के लिए शुभ बताना भी शुरू कर दिया है।

अमेरिकन क्रो
इंटरनेट पर 'व्हाइट क्रो" सर्च करने पर जो इमेज दिखाई दे रही है, वह दतवाड़ा में नजर आ रहे पक्षी से काफी मिलती-जुलती है। रंग पूरी तरह से सफे द है, चोंच, पंजे और आंखें हल्के गुलाबी रंग के हैं। इसे 'अमेरिकन क्रो" भी कहा जाता है।

दुलभ व्हाइट क्रो
बड़वानी पीजी कॉलेज के प्राणी शास्त्र के प्रोफे सर डॉ. दिनेश वर्मा ने बताया कि व्हाइट क्रो (सफे द कौवा) हमारे देश में भी पाया जाता है, लेकि न यह दुर्लभ पक्षी है। इसका सफे द रंग एल्बीनिजम की वजह से होता है। यह प्रक्रिया सभी प्राणियों में पाई जाती है।

आनुवांशिक बीमारी
डॉ.वर्मा कहते हैं कि एल्बीनिजम एक आनुवांशिक उत्परिर्वतन है, जो शरीर में मेलनिन के उत्पादन को रोकता है। इससे पूरा शरीर सफे द ही रहता है। यह प्रक्रिया इंसानों सहित सभी प्राणियों में होती है। शरीर पर आंखें या गुलाबी भाग रक्त वाहिकाओं की वजह से होता है। एल्बीनिजम एक तरह की आनुवांशिक बीमारी है।

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