सोमवार को है शिवरात्रि, ऐसे करें शिवजी की पूजा
महादेव की आराधना से हर तरह के दोषों से छुटकारा मिल जाता है। महादेव देवों के देव महादेव हैं इसलिए शास्त्रोक्त मान्यता है कि श्रीशिव को मात्र एक लोटा जल चढ़ाने से प्रसन्न हो जाते हैं। भोलेनाथ की आराधना दिन में किसी भी समय और रात्रि में भी कुछ विशेष मौकों पर की जा सकती है। वर्ष में एक बार महाशिवरात्रि का पर्व आता है और हर मास में शिवरात्रि के दिन शिव की विशेष आराधना की जाती है।
हर मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। शिव पूजा को प्रदोष काल में करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस समय शिवपूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस मास 25 नवंबर सोमवार को मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष को शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। सोमवार को शिवरात्रि होने से इसका विशेष महत्व बताया जा रहा है।
सोम शिवरात्रि को ऐसे करें शिवपूजा
हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। शिवरात्री के दिन शिवपूजा प्रदोषकाल में अर्थात संध्या के समय की जाती है। इस दिन उपवास रखकर फलाहार या निराहार रहा जाता है। शिवपूजा करने के लिए सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठ जाएं। स्नान आदि से निवृत्त होकर आसन बिछाकर शिवलिंग के सामने बैठ जाएं। शिवलिंग को पहले जल से स्नान करवाएं।
उसके बाद शिवलिंग पर कुमकुम, अक्षत, अबीर, गुलाल, चंदन, मेंहदी, सरसों का तेल, गन्ने का रस, जनेऊ, धतुरे का फूल, बेलपत्र, आक का फूल, भांग सुगंधित फूल, ऋतुफल, पंचमेवा, पंचामृत, मिष्ठान्न आदि समर्पित करें। महादेव को श्वेत रंग पसंद है इसलिए श्वेत रंग की वस्तुओं से महादेव को समर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही गाय के घी का दीपक जलाएं और धूपबत्ती लगाएं। शिवलिंग पर हल्दी न चढ़ाएं। हल्दी जलाधारी पर समर्पित करें।
शिवपूजा में इसके साथ ओम नम: शिवाय का जाप करें और, शिव पंचाक्षरस्त्रोत, रुद्राष्टक, शिव महिम्नस्त्रोत, शिव चालीसा, शिव पुराण या शिव के शास्त्रोक्त मंत्रों आदि का पाठ करें।