अक्षय नवमीः आंवले की पूजा करने से मिलता है सौभाग्य
सनातन संस्कृति में प्रकृति पूजा को काफी महत्व दिया गया है। विभिन्न मासों में वृक्षों और वनस्पतियों की पूजा का प्रावधान किया गया है। नदियों, पर्वतों और पाषाणों की पूजा का विधान कर प्रकृति से नजदीकी और उसका आभार व्यक्त किया जाता है। प्राचीन धर्मशास्त्रों में पीपल, बरगद, आंवला, अशोक, हारश्रंगार तुलसी आदि पौधों की पूजा और उनसे मिलने वाले वरदान का विस्तार से वर्णन किया गया है।
आंवला वृक्ष का शास्त्रोक्त महत्व
शास्त्रों में आंवले के वृक्ष का बहुत महत्व बताया गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति आंवले का एक वृक्ष लगाता है उसको राजसूय यज्ञ के बराबर फल मिलता है। यदि कोई महिला शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर उसका पूजन करती है तो उसको अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है। इस तिथि को आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है व्यक्ति दीर्घायु होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राहमणों को मीठा भोजन कराकर दान किया जाए तो व्यक्ति की सभी समस्याओं का समाधान होता है।
आंवला और ग्रहों से सम्बन्ध
बुध ग्रह की पीड़ा से निवारण के लिए आंवले को जल में डालकर स्नान किया जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में बुध खराब हो, पीड़ित हो या खराब फल दे रहा हो तो उस व्यक्ति को शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से जल में आंवला, शहद, गोरोचन,सोना, हरड़, बहेड़ा, गोमय और चावल डालकर लगातार 15 बुधवार तक स्नान करना चाहिए जिससे बुध ग्रह शुभ फल देने लगता है। स्नान करने के लिए इन सभी पदार्थों को एक कपड़े में बांध ले और जल में करीब 10 मिनट तक रखकर फिर स्नान करें। कपड़े में बांधकर रखी गई सामग्री को 7 दिनों तक उपयोग में लिया जा सकता है।
शुक्र ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए आंवले का उपयोग किया जाता है। इसके लिए शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार को हरड़, इलायची, बहेड़ा, आंवला, केसर, मेनसिल और एक सफेद फूल जल में डालकर स्नान करने से शुक्र ग्रह की पीड़ा का नाश होता है। इन सभी सामग्री को भी कपड़े में बांधकर जल में 10 मिनट रखें और यह सामग्री 7 दिनों तक उपयोग में लें। इसके साथ ही आंवले का वृक्ष शुभ वृक्षों में माना जाता है। इसको घर में लगाने से वास्तुदोषों का नाश होता है। इसको पूर्व और उत्तर दिशा में लगाने से घर में वास्तुदोष का निवारण होता है।