इस तरह करें करवा चौथ की पूजा, यह है शुभ मुहूर्त
महिलाओं के सौभाग्य की वृद्धि करनेवाला व्रत है करवाचौथ। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना करती है। इस दिन निर्जला व्रत करने के बावजूद महिलाओं में बहुत उत्साह रहता है। वो कुछ दिन पहले से इस व्रत की तैयारी करने लग जाती है और सजने-संवरने से लेकर पूजा सामग्री तक को इकट्ठा करने में जुट जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को आता है। इस साल करवा चौथ 17 अक्टूबर को है।
करवा चौथ शुभ मुहूर्त
करवा चौथ प्रारंभ - 17 अक्टूबर 2019 को सुबह 6 बजकर 48 मिनट से
करवा चौथ समापन - 18 अक्टूबर 2019 को सुबह 7 बजकर 29 मिनट पर
करवा चौथ कुल अवधि - 13 घंटे 50 मिनट
पूजा का शुभ मुहूर्त - 17 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 46 मिनट से 7 बजकर 2 मिनट तक
करवा चौथ की पूजन विधि
करवा चौथ वाले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और इस मंत्र का उच्चारण करते हुए संकल्प लें।
मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये ।।
सूर्योदय के पहले सरगी लें और उसके बाद दिन भर निर्जला व्रत का पालन करें। दीवार पर गेरू से फलक तैयार करें और भीगे हुए चावलों को पीसकर घोल बनाएं। फलक पर इस घोल से करवा का चित्र बनाएं। ऐसा न कर सकें तो बाजारों में रेडीमेड फोटो भी मिल जाते हैं। उसको लगाकर पूजा कर सकते हैं। भोजन में आठ पूरियों की अठावरी बनाएं और मिठाई में हल्वा या खीर बनाएं। साथ कुछ और मिठाई भी बना सकती है। अब पीली मिट्टी और गोबर की मदद से माता पार्वती की प्रतिमा का निर्माण करें। माता की मूर्ति को पाट पर विराजित कर सुहाग सामग्री समर्पित करें। जल से भरा हुआ कलश रखें। करवे में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भरें। रोली से करवा पर स्वास्तविक बनाएं। इसके बाद गौरी-गणेश के साथ करवा के चित्र की पूजा करें।
अब पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए 'ओम नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥' मंत्र का उच्चारण करें। करवा पर तेरह बिंदी रखें और गेहूं या चावल के तेरह दाने उसक ऊपर रखकर करवा कथा कहें या सुनें। कथा श्रवण के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपने सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें। चंद्रमा जब दिखाई दे तब छलनी की ओट से पति को देखकर चन्द्रमा को अर्घ्य दें। चंद्रमा को अर्घ्य देते समय पति की लंबी उम्र और जन्म-जन्मांतर के साथ की कामना करें। पति के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लें और उनके हाथ से जल ग्रहण कर, पति के साथ भोजन ग्रहण करें।