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कार्तिक मास आरंभ : कार्तिक मास में ऐसे मिल सकता है सभी कष्टों से छुटकारा


कार्तिक मास को हिंदू संस्कृति के श्रेष्ठ मासों में माना जाता है। इस समय सबसे ज्यादा महत्व स्नान का होता है। स्नान के साथ दीपदान इस मास में किया जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु की आराधना के विशेष महत्व है। हिंदूओं के बड़े त्यौहार इस मास में आते हैं इसलिए इस समय देव आराधना का विशेष महत्व बताया गया है और भगवान विष्णु, महादेव, कार्तिकेय और तुलसी की पूजा करने से भक्तों को सुख-समृद्धि और धन-धान्य का वरदान देते हैं।

सूर्य आराधना से मिलेगी सुख-समृद्धि
इस साल कार्तिक मास का प्रारंभ 14 अक्टूबर को हो रहा है और समाप्ति 12 नवंबर को होगी। शास्त्रोक्त मान्यता है कि कार्तिक मास में स्नान दान और उपवास का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इससे भक्तों के सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इस समय श्रीहरि, महादेव, तुलसी के साथ सूर्य आराधना का भी विशेष महत्व है। इस मास में सूर्य अपनी नीच राशि तुला में रहता है इसलिए उदय होते सूर्य को अर्घ्य देने से विशेष लाभ मिलता है। मान-सम्मान के साथ आरोग्य की प्राप्ति होती है।

सूर्य आराधना के लिए एक तांबे के लोटे में जल लेकर अर्घ्य दें। जल में हल्दी मिलाने से बृहस्पति मजबूत होने के साथ आरोग्य मिलता है, कुमकुम डालकर जल समर्पित करने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है और मिर्च के बीज डालकर अर्घ्य देने से रोजगार की प्राप्ति होती है। इसके अलावा मान-सम्मान की प्राप्ति के लिए तांबे के लोटे में कलावा लपेटकर जल में गुलाब के फूल, केसर और शक्कर डालें। उसी स्थान पर खड़े होकर सूर्यनारायण की तीन या सात परिक्रमा करें। गायत्री मंत्र का जाप करें और आदित्य हदय स्त्रोत का पाठ करें।

कार्तिक मास में करे श्रीहरि और महादेव की आराधना
कार्तिक स्नान का भी शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। इस मास में सूर्योदय के पूर्व स्नान करने से सुख-संपत्ति और एश्वर्य की प्राप्ति होती है। स्वास्थ्य उत्तम रहता है। कार्तिक मास में विधि-विधान से स्नान करने से श्रीहरि की कृपा का फल मिलता है। स्नान के लिए सर्वप्रथम स्नान के जल मे एक चम्मच गंगाजल मिलाएं और उसे बाद तीन बार ओम का उच्चारण करें। स्नान से निवृत्त होने के बाद तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं। श्रीहरि के 108 नामों का जाप करें साथ ही महादेव को पांच बिलपत्र श्वेत चंदन नम: शिवाय लिखकर समर्पित करें।

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