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शरद पूर्णिमा पर 30 साल बाद बन रहा है ये दुर्लभ संयोग, जानियें क्या करें इस दिन..


इस साल शरद पूर्णिमा पर्व पर शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य पं प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार 13 अक्टूबर रविवार को शरद पूर्णिमा पर 30 साल बाद दुर्लभ योग बन रहा है। ये शुभ योग चंद्रमा और मंगल के आपस में दृष्टि संबंध होने से बन रहा है। जिसे महालक्ष्मी योग कहा जाता है। शरद पूर्णिमा पर इस शुभ योग के बनने से ये पर्व और ज्यादा खास हो जाएगा।

अश्विन माह की इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। माना जाता है कि इस तिथि पर देवी लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं और जो जाग कर देवी की पूजा करता है उस पर माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस शरद पूर्णिमा पर महालक्ष्मी योग में देवी की पूजा करने का सौभाग्य 30 साल बाद मिल रहा है। जिससे इस साल शरद पूर्णिमा पर स्वास्थ्य के साथ आर्थिक स्थिति में भी सुधार होने के योग बन रहे हैं।

ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति
इस साल शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा मीन राशि और मंगल कन्या राशि में रहेगा। इस तरह दोनों ग्रह आमने-सामने रहेंगे। वहीं मंगल, हस्त नक्षत्र में रहेगा। जो कि चंद्रमा के स्वामित्व वाला नक्षत्र है। इससे पहले ग्रहों की ऐसी स्थिति 14 अक्टूबर 1989 में बनी थी। हालांकि 6 अक्टूबर 2006 और 20 अक्टूबर 2002 में भी चंद्रमा अौर मंगल का दृष्टि संबंध बना था, लेकिन मंगल, चंद्रमा के नक्षत्र में नहीं था। इनके अलावा चंद्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि भी पड़ने से गजकेसरी नाम का एक और शुभ योग भी बन रहा है।

महत्वपूर्ण काम करने का दिन
पं भट्ट के अनुसार पूर्णा तिथि और महालक्ष्मी योग बनने से शरद पूर्णिमा पर खरीदारी और नए काम शुरू करना शुभ रहेगा। इस शुभ संयोग में प्रॉपर्टी, निवेश और महत्वपूर्ण लेन-देन करने से धन लाभ होने की संभावना और बढ़ जाएगी। जॉब और बिजनेस करने वाले लोगों के लिए पूरा दिन फायदेमंद रहेगा। इसके साथ ही सेविंग भी बढ़ेगी। इस दिन पद ग्रहण करना या नया दायित्व लेना भी शुभ है। इस दिन किए गए काम लंबे समय तक फायदा देने वाले रहेंगे।

क्या करें शरद पूर्णिमा पर
इस रात में ग्रहण की गई औषधि बहुत जल्दी लाभ पहुंचाती है।
शरद पूर्णिमा पर चंद्र की किरणें भी हमें लाभ पहुंचाती हैं। इसलिए इस रात में कुछ देर चांद की चांदनी में बैठना चाहिए। ऐसा करने पर मन को शांति मिलती है। तनाव दूर होता है।
शरद पूर्णिमा की रात घर के बाहर दीपक जलाना चाहिए। इससे घर में सकारात्मकता बढ़ती है।
शरद पूर्णिमा की चांद को खुली आंखों से देखना चाहिए। क्योंकि इससे आंखों की समस्या नहीं होती।
पूरे दिन व्रत रखें और पूर्णिमा की रात्रि में जागरण करें। व्रत करने वाले को चन्द्र को अर्घ्य देने के बाद ही अन्न ग्रहण करना चाहिए।

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
शरद पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के पूर्व उठ जाएं। स्नान आदि से निवृत्त होकर शरद पूर्णिमा के व्रत का संकल्प लें। घर में देवी-देवता के सामने गाय के घी का दीपक लगाएं। देवी-देवताओं का विध-विधान से पूजन करें। इंद्र और देवी लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा करें। अबीर, गुलाल, कुमकुम, हल्दी मेंहदी, अक्षत, सुगंधित फूल और वस्त्र समर्पित करें। इसके बाद मिष्ठान्न, फल और सूखे मेवों का भोग लगाएं। धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं और आरती उतारें। शाम के समय देवी लक्ष्मी का विशेष पूजन करें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर प्रसाद चढ़ाएं और आरती उतारें। रात्रि 12 बजे बाद घर के सभी सदस्यों के साथ चांदनी में रखी हुई खीर को ग्रहण करें। देवी लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर का भी पूजन करें।

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