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दुर्गा अष्टमी : मॉं महागौरी देती संतान का आर्शीवाद, करती है सर्व मनोरथ पूर्ण


 नवरात्रि के आठवे दिन माता महागौरी के सौम्य स्वरूप महागौरी की आराधना की जाती है। देवी इस रूप में शांत और तेजोमय दिखाई देती है। माता ने महादेव को पाने के लिए अत्यंत कठोर तप किया था इसलिए माता तपस्या से तेजोमय हो गई थी। माता के इस स्वरूप की आराधना से भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

माता महागौरी के पूजन के लिए सर्वप्रथम स्नान आदि से निवृत्त होकर माता के चित्र या प्रतिमा की एक पाट पर स्थापना करे। माता को कुमकुम, मेहदी, हल्दी, अक्षत,अबीर, गुलाल, आदि चढ़ाएं। देवी को लाल गुड़हल के फूल या गुलाब समर्पित करें। माता के सामने गाय के घी का दीपक लगाए और धूपबत्ती जलाएं। शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी के पूजन में चमेली व केसर का फूल मां को समर्पित करें। माता के श्वेत वर्णी होने के कारण उनकी तुलना शंख, चंद्रमा व कुंद के श्वेत पुष्प से की जाती है। देवी को भोग में नारियल और नारियल से बने मिष्ठान्न चढ़ाएं। माता को नारियल से बने मिष्ठान्न अति प्रिय हैं। मान्यता है कि नवरात्रि की अष्टमी तिथि को देवी को नारियल से बने पदार्थों का भोग लगाने से संतान संबंधी कष्टों का निवारण होता है। इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है।

श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

देवी महागौरी के मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

देवी महागौरी का ध्यान
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥

पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

देवी महागौरी का स्तोत्र
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

देवी महागौरी का कवच
ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥

ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥

इस साल की महाष्टमी 6 अक्टूबर को है और महाअष्टमी के शुभ मुहूर्त इस तरह हैं -
5 अक्टूबर सुबह 09 बजकर 53 मिनट से अष्टमी आरम्भ
6 अक्टूबर सुबह 10 बजकर 56 मिनट पर अष्टमी समाप्त
संध्या पूजा मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 11 बजकर 18 मिनट तक

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