धूमधाम से हुई मेंढ़क-मेंढ़की की शादी, गांव भर में निकली बारात
मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में एक अनूठी शादी देखने को मिली है, जहां मेंढक को दूल्हा और मेंढकी को दुल्हन बनाकर हिन्दू रीति रिवाज से शादी रचाई गई है. दसअसल, सूखे बुन्देलखण्ड में रूठे मेघों को मनाने के लिए लोग तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि अगर विधि विधान से मेंढक-मेंढकी की शादी कराई जाए तो, इन्द्रदेव प्रसन्न होकर अच्छी बारिश करते हैं. ऐसी ही एक अनूठी शादी पलेरा ब्लाक के हनौता गांव में पूरे विधि विधान से गांव में मेंढक मेंढकी की शादी की गई. जिसमें पूरे गांव के लोगों ने उत्साह और उमंग के साथ शिरकत ही नही की बल्कि गाजे-बाजे के साथ बाकायदा गांव के मंदिर से बारात निकालकर गांव में घुमाते हुए नाचते गाते मंदिर तक पहुंची.
बारात के मंदिर पहुंचने के बाद पूरे विधि विधान के साथ शादी की रस्में पूरी की गईं और मेघ देवता से अच्छी बारिश करने की कामना की गई. शादी के बाद मेंढक-मेंढकी को ससम्मान मंदिर के पास स्थित तालाब में छोड़ दिया गया. बता दें आषाढ़ माह गुजरने और सावन माह प्रारंभ जाने के बावजूद भी अच्छी बारिश नहीं होने से निराश और चिंतित किसानों ने देवी देवताओं को मनाने के लिए ऐसा किया है. गांव के लोगों ने पौराणिक कथाओं का सहारा लेते हुए गांव में सामूहिक रूप से मेंढक मेंढकी की शादी रचाई करवाई है.
इस शादी में गांव के बीच स्थित शंकर जी के मंदिर से मेंढक को दूल्हा बनाकर गाजे बाजे के साथ बारात निकाली गई और गांव में घुमाते हुए दुल्हन के घर गौरैया माता मंदिर पहुंची. जहां महिलाओं ने मंगल गीत गाते हुए बारातियों की आगवानी की और शादी की खुशी में जमकर नाचगान किया. इसके बाद हिन्दू रीति रिवाजों के साथ मेंढक-मेंढकी की शादी कराई गई.
बता दें जब सूखे की आशंका हो तो हमारे वेद पुराणों में ऐसी मान्यता है कि उस समय हिंदू रीति-रिवाज से मेंढक और मेंढकी की शादी संपन्न कराना चाहिए. ऐसा करने से मेघों के देव इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और अच्छी बारिश से हमारी धरती माता की प्यास संतृप्त होती है. इसी परंपरा को लेकर हनौता ग्राम वासियों द्वारा मेंढक और मेंढकी की शादी का धूमधाम से आयोजन कराया गया. गांव वालों को भरोसा है कि ऐसा करने के बाद अब अच्छी बारिश होगी.