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यहां वेटर से लेकर मैनेजर तक पूरा स्‍टॉफ है फीमेल


इंदौर। अमूमन कहा जाता है कि हर सफल आदमी के पीछे महिला का हाथ होता है लेकिन शहर में एक ऐसा उदाहरण देखा जा सकता है जहां 35 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का श्रेय एक आदमी को जाता है। शुक्रवार को शहर के गौरी नगर में एक ऐसा रेस्टोरेंट शुरू हुआ जहां शेफ से लेकर वेटर तक और मैनेजर से लेकर गार्ड तक की भूमिका महिलाएं ही निभाएंगी। इस रेस्टोरेंट में काम करने वाली ये सभी महिलाएं क्षेत्र के जरूरतमंद परिवारों की हैं जो अभी तक अपने घर की गाड़ी चलाने के लिए महज 2-4 हजार रुपए की मजदूरी करती थीं। इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल सराफा में पावभाजी, डोसा बनाकर बेचने वाले व्यापारी ने की है।

छोटा सराफा में रात को पावभाजी और डोसे की दुकान लगाने वाले राजेश कुमार सिंह ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का यह तरीका अपनाया है। वे बताते हैं कि गौरी नगर में जहां रेस्टोरेंट शुरू किया गया है वास्तव में वह उनका प्लॉट था। प्लॉट पर मकान बनाने का विचार करके जब वे वहां गए तो उन्हें महसूस हुआ कि वहां ऐसी कई महिलाएं, युवतियां हैं जो दिन-रात मेहनत करने के बाद भी उचित पारिश्रमिक नहीं पा पाती। ऐसे में क्षेत्र की महिलाओं के लिए कुछ करने का दिल में खयाल आया। इसके बाद यहां रेस्टोरेंट शुरू करने का बोर्ड लगाया और महिलाओं ने दिलचस्पी दिखाई। विवाहिताओं का इंटरव्यू उनके पति के साथ और अविवाहितों का इंटरव्यू माता-पिता के साथ लिया ताकि परिवार की रजामंदी भी पता चले।

राजेश कुमार सिंह बताते हैं कि महिलाओं द्वारा ही संचालित इस रेस्टोरेंट को शुरू करने से पहले यहां 20 दिन की ट्रेनिंग दी जा चुकी है और अभी 10 दिन और ट्रेनिंग दी जाएगी। इस ट्रेनिंग में खाना बनाने, ऑर्डर लेने, खाना सर्व करने, सफाई करने, आगंतुकों के साथ व्यवहार करने, सुरक्षा गार्ड आदि की जानकारी दी जा रही है। 35 महिलाओं की टीम में 5 मैनेजर हैं और शेष अन्य जिम्मेदारियां संभाल रही हैं।

जैसी काबिलियत वैसा काम...
यूं तो यहां 90 प्रतिशत स्टाफ साक्षर है जिसमें से कुछ तो ग्रेजुएट भी हैं। ऐसे में हरेक को उसकी काबिलियत के अनुसार काम सिखाया और सौंपा गया है। रेस्टोरेंट के लिए जरूरत की हर सामग्री लाने से लेकर होने वाले मुनाफे और वेतन की जिम्मेदारी भी इन्हीं को दी गई है। शुरुआती दौर में यहां 10 हजार से लेकर 30 हजार तक का वेतन तय किया गया है। साथ यह यह भी निर्णय लिया कि यदि मुनाफा अतिरिक्त होता है तो उसका अलग से कोष बनाया जाएगा जिससे स्टाफ में यदि किसी को जरूरत पड़े तो मदद की जा सके। राजेश कुमार बताते हैं कि यह रेस्टोरेंट इन महिलाओं के सुपुर्द करने के बाद वे इसमें से कोई भी राशि यहां से नहीं लेंगे। इनका उद्देश्य केवल जरूरतमंद परिवारों की महिलाओं को स्वावलंबी बनाना है।

 

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