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इस गांव में सभी घरों के लोग खाना बनाने के लिए करते है सौर ऊर्जा का इस्‍तेमाल


 

बैतूल। बैतूल जिले के शाहपुर तहसील क्षेत्र का बांचा गांव देश का पहला ऐसा गांव है जहां लकड़ी का चूल्हे और रसोई गैस का उपयोग कर भोजन नहीं बनाया जा रहा बल्कि सभी 74 घराें में सिर्फ साैर ऊर्जा से चलने वाले चूल्हे पर खाना पकता है।

 भारत-भारती शिक्षा समिति के सचिव मोहन नागर ने बताया केंद्र सरकार ने गांवों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रतियोगिता आयोजित की थी। इसमें आईआईटी मुंबई के विद्यार्थियों ने सौर ऊर्जा चलित चूल्हे का मॉडल तैयार किया था।

इसके बाद इस मॉडल के प्रयोग के लिए देश के एक गांव का चयन किया जाना था। भारत-भारती शिक्षा समिति ने दिल्ली में केंद्रीय गैस और पेट्रोलियम मंत्री के ओएनजीसी के अधिकारियों से चर्चा कर घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के बांचा गांव का प्रस्ताव दिया।

इसके बाद इस मॉडल के प्रयोग के लिए बांचा गांव का चयन किया था। सितंबर 2017 में प्रोजेक्ट के तहत गांव में सौर ऊर्जा लगाने का काम शुरू किया था। दिसंबर 2018 में सभी घरों में सौर ऊर्जा प्लेट, बैटरी और चूल्हा लगाने का काम पूरा किया।

आईआईटी मुंबई के तकनीकी प्रोजेक्ट मैनेजर वैंकट पवन कुमार ने बताया कि बांचा गांव के लिए आईआईटी मुम्बई की टीम ने विशेष प्रकार का चूल्हा तैयार किया है। सौर ऊर्जा चलित चूल्हे की सोलर प्लेट से अच्छी धूप होने पर लगभग 800 वोल्ट बिजली बनती है। इसमें लगी बैटरी में तीन यूनिट बिजली स्टोर रहती है।

इस चूल्हे में पांच सदस्यीय परिवार में एक दिन में 3 बार खाना बनाया जा सकता है। सभी चूल्हे नि:शुल्क लगाए गए हैं। एक यूनिट की लागत करीब 80 हजार रुपए है। ग्रामीणों की मानें तो

इस प्रयोग से गर्मी के दिन तो कट जाएंगे लेकिन बारिश में धूप नही होगी तो भोजन बनाने या तो लकड़ी का उपयोग करना होगा या फिर रसोई गैस का सिलेंडर खरीदना पड़ेगा।

कलेक्टर ने भी की चर्चा
बैतूल कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने भी बुधवार को गांव में पहुंचकर प्रोजेक्ट की बारीकियों को समझा और ग्रामीणों से चर्चा की।

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