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CIC ने दिया रिजर्व बैंक को आदेश, बड़े डिफॉल्‍टरों के नाम का करे खुलासा



केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने भारतीय रिजर्व बैंक से कहा है कि कर्ज लौटाने में असफल बड़े कर्जदारों के नाम का खुलासा  किया जाए. सीआईसी के इस आदेश के बाद डिफॉल्‍टर्स की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

दरअसल, सीआईसी ने आरबीआई को यह आदेश लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की अपील पर दिया है. नूतन ठाकुर ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत कर्ज डिफॉल्‍टर्स की जानकारी मांगी थी. नूतन ने अपने आरटीआई आवेदन में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के 2017 में एक व्याख्यान का जिक्र भी किया है. इसमें विरल आचार्य ने कहा था कि कुछ कर्ज डिफॉल्टर के खातों को बैंकों के पास निपटान के लिए भेजा गया है. आचार्य ने कहा था कि आंतरिक सलाहकार समिति (आईएसी) ने सिफारिश की है कि रिजर्व बैंक शुरुआत में बड़ी राशि के फंसे कर्ज वाली संपत्तियों पर ध्यान केंद्रित करे.  

विरल आचार्य ने कहा था कि रिजर्व बैंक ने उसी के अनुरूप बैंकों को 12 बड़े खातों के खिलाफ दिवाला आवेदन करने को कहा था. बैंकों की जितनी राशि कर्ज में फंसी है उसका 25 फीसदी इन्हीं बड़े खातों पर बकाया है. ठाकुर ने अपने आरटीआई आवेदन में आचार्य के व्याख्यान में जिस सूची का जिक्र किया था उसी सूची का ब्यौरा मांगा है. हालांकि रिजर्व बैंक ने उन्हें इसकी जानकारी उपलब्ध कराने से इनकार करते हुए कहा था कि यह गोपनीय सूचना है. इसके बाद नूतन ठाकुर ने सीआईसी में अपनी अपील की.  

बता दें कि सूचना के अधिकार के तहत विवाद निपटान प्रक्रिया दो चरणों में होती है. इसी प्रक्रिया में मुख्य लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को आवेदन पर प्रतिक्रिया मिलती है और वह उसका जवाब देता है. वह यदि सूचना देने से इनकार करता है तो उसे संगठन के भीतर ही वरिष्ठ अधिकारी जिसे पहला अपीलीय प्राधिकरण कहा जाता है, समक्ष चुनौती दी जाती है. अगर आवेदक इसके बाद भी संतुष्ट नहीं हो पाता है तो दूसरी अपील सीआईसी के समक्ष की जा सकती है.

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