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हमारा भारत अर्पण, तर्पण और समर्पण की भूमि - भारती कुशवाह



राष्ट्र सेविका समिति के मध्यभारत प्रांत का प्रवेश शिक्षा वर्ग का शुभारम्भ आज से
उज्जैन। समिति कार्य ईश्वरीय कार्य है, हमारा भारत अर्पण, तर्पण और समर्पण की भूमि है। यहाँ ईश्वर भी अवतार लेने के लिए तत्पर रहते हैं। हम भाग्यशाली है जो ऐसी कर्मभूमि पर हमारा जन्म हुवा है। जहां धर्म की स्थापना, अधर्म का नाश व सज्जनों के रक्षण के लिए ईश्वर ने अवतार लिए और मानव जाति के उद्धार व उत्थान के लिए कार्य किये। 
ये उद्गार राष्ट्र सेविका समिति के मध्य भारत प्रांत के प्रवेश शिक्षा वर्ग के शुभारंभ अवसर पर मुख्य वक्ता समिति के मध्यभारत प्रान्त सहकार्यवाहिका भारती कुशवाह ने कहे। उन्होंने कहा कि इस सर्वश्रेष्ठ भारतीय संस्कृति की संवाहक व धारक स्त्री ही है, जिस प्रकार भवन की मजबूती उसके नींव से होती है, उसी प्रकार सक्षम व समर्थ राष्ट्र को बनाने का ईश्वरीय कार्य करने में स्त्री ही मुख्य रूप नींव की भूमिका निभाने का कार्य करती है। स्त्री ही सुशील, समर्थ, चरित्रवान, माँ, बहन, बेटी, पत्नी आदि रूप में समाज से जुड़कर लोगों एवं परिवार को सत्कार्य व सद्मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित करती है। ये ईश्वरीय विधान है, इसलिये इस ईश्वरीय कार्य को आगे बढाने व स्त्रियों को स्वसंरक्षणक्षम बनाने हेतु राष्ट्र के पुननिर्माण के लिए १९३६ में वन्दनीया लक्ष्मी बाई केलकर ने राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की। कार्यक्रम की अध्यक्षता लोकमान्य तिलक हायर सेकेंडरी विद्यालय की प्राचार्य संगीता पाटकर ने की। इस सत्र में उज्जैन विभाग कार्यवाहिका एवं वर्गाधिकारी रमा पंड्या व समिति की बहनें उपस्थित रही। राष्ट्र सेविका समिति के मध्य भारत प्रांत का प्रवेश शिक्षा वर्ग २५ मई से ७ जून तक चलेगा। जिसमें मध्य भारत प्रान्त से 8० बहनें प्रशिक्षण हेतु एकत्रित हुई है। वर्ग में शारीरिक, बौद्धिक, चर्चा सत्र, कार्यशाला चिंतन सूत्र आदि गतिविधियां सुबह ५ बजे से प्रारंभ होकर रात्रि १० बजे तक संचालित होंगी। इस दौरान बहनों को अच्छी शाखा कैसे लगाये, जीवन में अनुशासन, प्रार्थना, अभ्यास, सामाजिक समरसता आदि विषयों पर प्रशिक्षण दिया जायेगा।

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