प्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ शिव शर्मा का देहावसान
उज्जैन। प्रसिद्ध व्यंग्यकार डाॅ. शिव शर्मा का बीमारी के बाद 80 वर्ष की आयु में बुधवार 22 मई शाम 7 बजे उपचार के दौरान देहावसान हो गया। उनकी अंतिम यात्रा आज गुरूवार 23 मई को सुबह 10.30 बजे निज निवास सी 42 ऋषिनगर से निकलेगी।
25 दिसम्बर 1938 को राजगढ़ (ब्यावरा) नामक एक छोटी सी रियासत में जन्में डॉ शिव शर्मा ने उज्जैन को अपनी कर्मस्थली बनाया। यहीं प्राचीन माधव कालेज में शिक्षा ग्रहण कर अध्यापन किया एवं प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत हुए। वर्ष 1970 के दशक से व्यंग्य-लेखन में सक्रिय डॉ शिव शर्मा के व्यंग्य संग्रहों में ‘जब ईश्वर नंगा हो गया’, ‘चक्रम दरबार’, ‘शिव शर्मा के चुने हुए व्यंग्य’, ‘टेपा हो गए टाप’, ‘कालभैरव का खाता’, ‘अपने-अपने भस्मासुर’, ‘अध्यात्म का मार्केट’, ‘दुम की दरकार’ सम्मिलित हैं। आपका एक व्यंग्य एकांकी ‘थाना आफतगंज’ भी प्रकाशित हुआ है। डॉ शिव शर्मा का पहला व्यंग्य उपन्यास ‘बजरंगा’ था और दूसरा व्यंग्य उपन्यास ‘हुजूर-ए-आला’ (शिव शर्मा-रोमेश जोशी) 2016 में भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हुआ जो काफी चर्चित हुआ और उपन्यास श्रेणी में वर्ष का बेस्ट सेलर उपन्यास घोषित हुआ। उज्जैन में मालवा की हास्य व्यंग्य संस्कृति को समर्पित प्रसिद्ध आयोजन अखिल भारतीय टेपा-सम्मेलन के संस्थापक अध्यक्ष रहकर 49 वर्षो से सफल आयोजन किया। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्वतन्त्रता की 50वीं वर्षगाँठ पर ‘जंगे आजादी में ग्वालियर-इन्दौर‘ विषय पर शोध-ग्रन्थ प्रकाशित हुआ। आकाशवाणी के वर्षों तक संवाददाता रहे और
राज्य स्तरीय अधिमान्यता प्राप्त स्वतन्त्र पत्रकार रहे एवं देश भर की पत्र पत्रिकाओं में व्यंग्य-स्तम्भ लेखन जारी रहा। आपको ‘माणिक वर्मा व्यंग्य सम्मान’, ’गख्खड़ व्यंग्य सम्मान’ सहित कई सम्मान प्राप्त हुए। प्रदेश शासन की संभागीय सतर्कता समिति, उज्जैन के सदस्य रहे। आपने रूस सहित कई देशों की शैक्षणिक यात्राएं की। विगत दो माह से कैंसर से पीड़ित थे।