इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ है राष्ट्रमाता कस्तूरबा ग्रंथ
लेखक संघ के आयोजन में डॉ देवेन्द्र जोशी की पुस्तक का लोकार्पण संपन्न
उज्जैन। कस्तूरबा के बिना महात्मा गांधी की कल्पना अधूरी है। मोहन को महात्मा बनाने में कस्तूरबा की अहम भूमिका है। कस्तूरबा गांधी सच्चे अर्थों में आजादी के आन्दोलन में महिला सशक्तिकरण की पर्याय थी। ’राष्ट्रमाता कस्तूरबा’ ग्रंथ भारत के इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ है जिसे हर भारतीय को पढना चाहिए।’
उक्त विचार वरिष्ठ पत्रकार लेखक डॉ देवेन्द्र जोशी की 10वीं पुस्तक ’राष्ट्र माता कस्तूरबा’ के लोकार्पण अवसर पर अतिथियों ने व्यक्त किए। मध्यप्रदेश लेखक संघ द्वारा महात्मा गांधी और कस्तूरबा की 150वीं जन्मशती अंतर्गत कार्यक्रम आयोजित किया गया था। अतिथि के रूप में डॉ हरीश प्रधान, डॉ उर्मि शर्मा, डॉ शैलेन्द्र कुमार शर्मा उपस्थित थे। अध्यक्षता शशिमोहन श्रीवास्तव ने की। कृति की समीक्षा करते हुए डॉ शैलेन्द्र शर्मा ने कहा कि पुस्तक कस्तूरबा और महात्मा गांधी के जीवन के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालती है। अनेक नई और शोधपूर्ण जानकारी इससे पाठकों तक पहुंचती है। जिसे जुटाने में लेखक ने बहुत श्रम किया है। डॉ प्रधान ने इस अवसर पर कहा कि डॉ जोशी की कृति महात्मायन और कस्तूरबा इतिहास का गौरवशाली अध्याय है जो कई शताब्दियों तक नई पीढी को गौरवशाली अतीत से अवगत कराता रहेगा। डेढ शताब्दी वर्ष में इन विभूतियों को इससे बढकर श्रद्धांजलि दूसरी नहीं हो सकती। नगर के साहित्यकारों और लेखकों के लिए भी यह गर्व की बात है। आरंभ में सरस्वति वन्दना एवं कस्तूरबा पर गीत सीमा जोशी ने प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत डॉ पुष्पा चौरसिया, डॉ शैलेद्र पाराशर, गौरीशंकर उपाध्याय, संदीप सृजन, कमलेश व्यास, सीमा जोशी आदि ने किया। इस अवसर पर डॉ शिव चौरसिया, डॉ हरिमोहन बुधौलिया, रमेश दीक्षित, क्रांतिकुमार वैद्य, शीला व्यास सहित बडी संख्या में साहित्यकार एवं समाजजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ देवेन्द्र जोशी ने किया तथा आभार अपूर्व जोशी ने माना।