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यशवंत सिन्हा होंगे तीसरे मोर्चे के नेता



भाजपा, कांग्रेस और उनके गठबंधनों में विभाजन अवश्यंमभावी- आचार्य सत्यम्
उज्जैन। हिटलर ने जर्मन संसद में आग लगवाकर विपक्षियों पर आरोप लगाकर उनका कत्लेआम करवाया था, अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियां तथा रूस और चीन का दखल नहीं होता तो सुल्ताने हिन्द भी हिटलर की हूबहु नकल कर लेते। वंशवादी कांग्रेस के कारण ही हिन्दुस्तान में हिटलर के संस्करण का अवतरण हुआ था। इसलिये भाजपा के साथ ही कांग्रेस भी सत्ता से वंचित रहेंगी। चुनाव परिणाम के तत्काल बाद अहंकारी मोदी और शाह अपनी ऐतिहासिक परिणति को प्राप्त होंगे, भाजपा में निर्णायक विभाजन होगा, तीसरे मोर्चे का नेतृत्व भाजपा के बागी करेंगे, जिस तरह आपातकाल के बाद बागी कांग्रेसियों ने किया था। प्रबल संभावना है कि भाजपा छोड़कर तीसरे विकल्प के लिये निरंतर प्रयासरत यशवंत सिन्हा तीसरे मोर्चे के नेता और प्रधानमंत्री भी हो सकते है।
मालव रक्षा अनुष्ठान के संयोजक आचार्य सत्यम् ने आरोप लगाया कि मोदी, शाह मण्डली अपने मूल प्रदेश गुजरात तथा रामजन्म भूमि प्रदेश के साथ ही महात्मा बुद्ध और सम्राट अशोक की कर्मस्थली बिहार में कमरतोड़ पराजय से घबराकर महाकाली की रणभूमि में राम नाम का आर्तनाद कर रही है, लेकिन रणचंडी बनी ममता बेन उन पर महाकाली की तरह हमलावर राणा सांगा के स्व-घोषित वारिस समय की मार के शिकार हैं, टाईम मेग्जीन के साथ ही अब तो जिनका तकिया था वही सेना भी सर्जिकल स्ट्राईकर पर स्ट्राईक पर स्ट्राईक कर रही है। अहंकारी बंधुओं का अहंकार 23 मई को चकनाचूर हो जावेगा। कांग्रेस आगे पीछे तीसरे मोर्चे के रास्ते में आएगी ही और वह भी विभाजित हो जावेगी, क्योंकि अब वंशवादी राजनीति के भी चल चलाव का समय है। वक्तव्य में विश्वास व्यक्त किया गया है कि बिहार से विजयी होने वाले डॉ. रघुवंशप्रसाद सिंह और शरद यादव तथा गुजरात से ऐतिहासिक जीत दर्ज कर रहे जननेता छोटु भाई वसावा निश्चय ही केन्द्र सरकार में निर्णायक भूमिका निभाऐंगे। यशवंत सिन्हा भी चन्द्रशेखर के भौण्डसी आश्रम मे हमारे मित्र रह चुके। लेकिन यदि तीसरे मोर्चे की सत्ता भी गाय, गंगा, गौरी और वसुंधरा के पर्यावरण की रक्षा के हमारे अनुष्ठान का सहयोग नहीं करेगी, तो संसद के पहले सत्र के दौरान ही हमारा आमरण अनशन भी अवश्यंभावी है। 

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