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भगवान श्री चित्रगुप्त जनदर्शन यात्रा में राष्ट्रध्वज लहराते निकला कायस्थ समाज


चित्रगुप्त प्राकट्य दिवस पर पहली बार कायस्थ समाज की कुटुंब रसोई का हुआ आयोजन

उज्जैन। प्राणियों के कर्मो का लेखा जोखा रखने वाले भगवान श्री चित्रगुप्त के प्राकट्य दिवस 11 मई को कायस्थ समाज द्वारा श्री चित्रगुप्त जन दर्शन यात्रा निकाली गयी। जिसमे कायस्थ समाजजन राष्ट्रध्वज लहराते निकले। शामिल महिलाओं ने पक्षियों के लिए जल पात्र वितरित किये  वहीं जनदर्शन यात्रा के पहले कायस्थ समाज के लोगो ने 19 मई को अधिक से अधिक मतदान करने की शपथ ली।

यात्रा में राष्ट्र ध्वज के साथ राष्ट्रवाद का संदेश देते हुए कहा कि जाति से बढ़कर देश होता है। श्री चित्रगुप्त जनदर्शन यात्रा के संयोजक दिनेश श्रीवास्तव, अनुपमा श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से जानकारी देते हुए बताया कि प्राणियों के कर्मो का लेखा जोखा रखने वाले भगवान श्री चित्रगुप्त के प्राकट्य दिवस पर कायस्थ समाज द्वारा 11 मई को भव्य चित्रगुप्त जन दर्शन यात्रा निकाली गयी। इस बार चित्रगुप्त भगवान ने रथ में विराजित होकर अपने भक्तों को दर्शन दिए। कायस्थ समाज के संयुक्त परिवारजनों की कुटुम्ब रसोई भी रखी गयी जिसके कारण समाज के घरों में शनिवार शाम चूल्हा नही जला। रामघाट पर समाज जनों की ओर से मॉ क्षिप्रा का पूजन अर्चन कर भगवान चित्रगुप्त की आरती की गई। यात्रा में कृष्णमंगलसिंह कुलश्रेष्ठ, मोतीलाल श्रीवास्तव, राजकुमार भटनागर, अमित श्रीवास्तव, चेतना श्रीवास्तव, उर्मिला श्रीवास्तव, शशिराज भटनार्ग, डॉ रविन्द्र श्रीवास्तव, भारत सक्सेना, संजय सक्सेना, देवेंद्र श्रीवास्तव, अनिल श्रीवास्तव, राजभूषण श्रीवास्तव, भारत श्रीवास्तव, अभिषेक निगम, संजय श्रीवास्तव, चेतन श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए।

समाज में मधुर संबंधों के लिए की कुटुंब रसोई 

कार्यक्रम संयोजक दिनेश श्रीवास्तव ने कहा कि अधिक से अधिक कायस्थ समाज के लोगो से अपील की थी कि वो अपने घरों के चूल्हे नही जलाये और एक साथ कुटुम्ब रसोई में भोजन करें जिससे कायस्थ समाज के परिवारों में मधुर व्यवहार स्थापित होगा।

पक्षियों को पानी मिले इसके लिए सकोरा भेंट

भीषण गर्मी में पक्षियों को पानी देने के लिए प्राकट्य दिवस पर निकलने वाली जन दर्शन यात्रा में जो भी समाज जन शामिल हुए उन्हें एक एक सकोरा भेंट किया गया। जिससे पक्षियों के कंठो को पानी मिल सकेगा। यह पहल महिलाओं की ओर से की गई। कायस्थ समाज की महिलाएं अपने खर्च से पानी का सकोरा लेकर आयी।

रथ से नगर भ्रमण करते हुए रामघाट पहुंचे भगवान चित्रगुप्त

प्राणियों की मृत्यु होने पर स्वर्ग में स्थान मिलेगा या नरक में यह तो प्राणी के कर्म पर ही टिका होता है जिसका हिसाब किताब धर्मराज के सहायक भगवान श्री चित्रगुप्त जी के पास होता है मृत्यु होने पर उनकी पोथी से ही न्याय मिलता है  ऐसे आराध्य भगवान श्री चित्रगुप्त जी के प्राकट्य दिवस पर अपने भक्तों को दर्शन देने  के लिए भगवान चित्रगुप्त जी रथ में विराज कर दर्शन दिए।

भगवान चित्रगुप्त के हिसाब किताब से मिलती है योनि

जन्म लेने से लेकर मृत्यु तक प्राणियों के  कर्मो का लेखा जोखा भगवान चित्रगुप्त रखते जिसके जैसे कर्म होते है उसे वैसी योनि मिलती है ऐसी भी मान्यता है कि जो भगवान चित्रगुप्त जी की आराधना करता है उसे धर्मराज  प्रसन्न होकर दंड नही देते है।

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