ITR फाइलिंग के लिए अब जरूरी हैं ये दस्तावेज, बिना इनके हो सकती है परेशानी
वित्त वर्ष 2018-19 बीत जाने के बाद अब एसेसमेंट ईयर 2019-20 के लिए आईटीआर फाइलिंग की तारीख भी नजदीक आती जा रही है। आयकर विभाग की ओर से इस वित्त वर्ष के लिए आईटीआर फॉर्म्स को भी नोटिफाई किया जा चुका है। कुछ फॉर्म में बदलाव भी किए गए हैं। ऐसे में अगर आप भी खुद या अपने एक्सपर्ट्स के जरिए आईटीआर फॉर्म्स (आकलन वर्ष (2019-20) भरवाने की योजना बना रहे हैं तो आपको यह बात मालूम होनी चाहिए कि इसके लिए किन किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है।
फॉर्म-16: अगर आप नौकरीपेशा हैं तो आप इसके बारे में जरूर जानते होंगे। वित्त वर्ष की समाप्ति के बाद कंपनियों की ओर से उनके कर्मचारियों को यह फॉर्म जरूर दिया जाता है। यह एक तरह का टीडीएस सर्टिफिकेट होता है, जो आईटीआर फाइलिंग के दौरान सबसे अहम दस्तावेज माना जाता है। नियोक्ता की ओर से अपने कर्मचारियों को इसे जारी करना अनिवार्य होता है। यह फॉर्म दो भागों में होता है जिसमें एक वित्त वर्ष के दौरान आपके नियोक्ता की ओर सैलरी में टैक्स कटौती का जिक्र होता है।
बैंक और पोस्ट ऑफिस के इंटरेस्ट सर्टिफिकेट: इस बार के आईटीआर फॉर्म्स में करदाताओं से इंटरेस्ट इनकम के सोर्स की भी जानकारी मांगी जाएगी जैसे कि सेविंग अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज या फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज या फिर अन्य इनकम पर होने वाला ब्याज। आमतौर पर अर्जित ब्याज आय टैक्सेबल होती है, लेकिन अगर ब्याज आय एक वर्ष के दौरान 10,000 रुपये तक है तो आप आयकर की धारा 80TTA के अंतर्गत इस पर क्लेम कर सकते हैं।
फॉर्म-16A/ फॉर्म-16B/ फॉर्म-16C: अगर आपकी सैलरी के अलावा आपको किए गए अन्य भुगतान पर कटौती की जाती है, जैसे कि एफडी और रेकरिंग डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज तो मौजूदा टैक्स नियमों के हिसाब से निर्धारित कानूनी सीमाओं के ऊपर होने की स्थिति में आपका बैंक ऑपको फॉर्म-16A जारी करेगा। वहीं दूसरी ओर अगर आपने किसी संपत्ति की बिक्री की है तो आपका खरीदार आपको फॉर्म-16B जारी करेगा जिसमें आपको किए गए भुगतान पर टीडीएस कटौती का जिक्र होगा। अगर आप अपने मकान को किराए पर उठाते हैं तो आपको अपने किराएदार से फॉर्म 16C देने को कहना चाहिए।
आपके नियोक्ता की ओर से की गई टीडीएस कटौती
आपके बैंक की ओर से की गई टीडीएस कटौती
किसी और संस्थान की ओर से आपको किए गए भुगतान पर कटौती
आपकी ओर से वर्ष 2018-19 के लिए किए गए एडवांस टैक्स के भुगतान की जानकारी
आपकी ओर से किए गए सेल्फ एसेसमेंट टैक्स भुगतान की जानकारी
टैक्स बचाने वाले निवेश की जानकारी (प्रूफ): वित्त वर्ष 2018-19 में आपकी ओर से किए गए सभी टैक्स बचत निवेश और आपकी ओर से किए गए खर्चे धारा 80C, 80CCC और 80CCD के तहत कटौती के लिए पात्र होते हैं। इन तीनों सेक्शन के अंतर्गत आप एक वित्त वर्ष के दौरान सिर्फ 1.50 लाख रुपये की टैक्स बचत के लिए ही क्लेम कर सकते हैं। आपको इन निवेश सबूतों को अपने साथ रखना होगा।
एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ)
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) में निवेश
लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम (एलआईसी)
नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस)
80D से 80U तक किए गए निवेश से जुड़े दस्तावेज: आयकर की धारा 80सी के अंतर्गत टैक्स सेविंग और खर्चों के लिए किए गए निवेश दस्तावेजों के अलावा अन्य खर्चे भी होते हैं जिन पर आप टैक्स की बचत कर सकते हैं जैसे कि हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम। आपको 80D से 80U तक किए गए निवेश से जुड़े दस्तावेज अपने साथ रखने चाहिए।
कैपिटल गेन से जुड़े दस्तावेज: अगर आपको प्रॉपर्टी, म्युचुअल फंड और इक्विटी शेयर की बिक्री के जरिए कैपटल गेन प्राप्त हुआ है तो आपको इसके दस्तावेज भी अपने साथ रखने चाहिए। आईटीआर फाइलिंग के दौरान आपको इसका उल्लेख करना होगा।
आधार कार्ड: आधार कार्ड की संवैधानिकता को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी आईटीआर फाइलिंग के लिए पैन और आधार की लिंकिंग को अनिवार्य रखा है। ऐसा न होने की सूरत में आपका आईटीआर प्रोसेस नहीं होगा। यानी अगर आपने कोई डिडक्शन क्लेम किया है तो आपको नुकसान हो सकता है। आयकर अधिनियम के सेक्शन 139AA के मुताबिक आयकर फाइलिंग के दौरान आधार का उल्लेख करना जरूरी है।
सभी बैंकों की डिटेल: अगर आपके काफी सारे बैंकों में खाते खुले हुए हैं तो आपको सभी बैंक अकाउंट की जानकारी देनी होगी। ऐसा न करने की सूरत में आप मुश्किलों में भी आ सकते हैं। इसलिए आईटीआर फाइलिंग के दौरान इसकी जानकारी देना न भूलें।
सैलरी स्लिप: इस बार के आईटीआर फॉर्म्स में आपको अपनी सैलरी स्लिप भी उपलब्ध करवानी होगी जिसमें आपकी सैलरी ब्रेकअप का जिक्र होगा। इसमें आपकी बेसिक सैलरी, डियरनेस अलाउंस और हाउस रेंट अलाउंस जैसी तमाम जानकारियां होंगी।