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महावीर तपोभूमि में अक्षय तृतीया पर्व मना कर गन्ने (इक्षु रस) रस वितरित



अक्षय तृतीया के अवसर पर भगवान श्री ऋषभदेव का अभिषेक आरती कर अर्ध समर्पित किया
उज्जैन। तपोभूमि प्रणेता गुरुदेव मुनि प्रज्ञासागर जी मुनिराज की प्रेरणा से सिघ्दक्षैत्र श्री महावीर तपोभूमि में अक्षय तृतीया महोत्सव 7 मई 2019 मंगलवार को प्रातः 8ः31 बजे भगवान ऋषभदेव जी का मस्तकाभिषेक व श्री चरणों में अर्घ समर्पण प्रातः 9ः30 बजे पर 48 दीपकों से महाआरती की गई। कार्यक्रम के बाद (इक्षु रस) गन्ने का रस का वितरण महा प्रसाद के रूप में सभी समाज जनों को दिया गया।
उल्लेखनीय है कि जैन समाज में अक्षय तृतीया का अत्यधिक महत्व है इस दिन प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव मुनि दीक्षा के कई दिनों के बाद प्रथम बार गन्ने के रस से आहार हुआ था इसलिए इस दिन का अत्यधिक महत्व है। सभी जैन लोग मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना एवं दान धर्म का विशेष दिन माना जाता है। तपोभूमि पर भगवान ऋषभदेव मस्तकाभिषेक, आरती कर अर्ध समर्पित किया। प्रथम कलश एवं शांति धारा का सौभाग्य अध्यक्ष कमल मोदी को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में विशेष तौर पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष विमल जैन, उपाध्यक्ष इंदरमल जैन, सचिव दिनेश जैन सुपरफार्मा, सहसचिव सचिन कासलीवाल, कोषाध्यक्ष धर्मचंद पाटनी, सहकोषाध्यक्ष अतुल सोगानी, राजेंद्र लुहाड़िया, फूलचंद छाबड़ा, रमेश जैन, सुरेश जैन, संजय जैन, हेमंत गंगवाल आदि लोगों ने विशेष तौर पर  भगवान की पूजा अर्चना कलश शांति धारा करते हुए अर्ध समर्पित किया एवं श्री जी की आरती की। सभी कार्यक्रम पंडित विशाल जैन के सानिध्य में संपन्न हुए।
अक्षय तृतीया महापर्व की कुछ विशेष जानकारियाँ
अक्षय तृतीया पर्व वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है । इस दिन आहार देने की परंपरा प्रारम्भ हुई थी। प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी जो छह माह की साधना के बाद प्रथम आहार हेतु निकले थे, परंतु किसी को आहारदान की क्रिया का ज्ञान न होने से उन्हें 6 माह तक आहार नहीं मिला। हस्तिनापुर में जब ऋषभदेव जी आहार चर्या हेतु निकले, तब वहां के राजा श्रेयांस को पूर्वभव का स्मरण होने से आहार विधि का ज्ञान हुआ। तब उन्होंने विधिपूर्वक ऋषभदेव जी को आहार दान दिया, और यह परंपरा प्रारम्भ हुई। प्रथम आहार इक्षु रस (गन्ने का रस) से हुआ।

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