36 साल बाद सेवा मुक्त होगा नौसेना का आईएनएस रंजीत
नई दिल्ली. भारतीय नौसेना में 36 साल अपनी सेवाएं देने के बाद आईएनएस रंजीत सोमवार को सेवा मुक्त हो जाएगा। यह जहाज पहली पंक्ति का मिसाइल विध्वंसक माना जाता है। इसे 15 सितंबर 1983 को पहली बार नौसेना में शामिल किया गया था। यूएसएसआर के बनाए पांच काशिन क्लास विध्वंसक जहाजों में इसका तीसरा स्थान है।
विशाखापटनम के नेवी डॉकयार्ड में विदाई समारोह
विशाखापटनम के नेवी डॉकयार्ड में इस जहाज के विदाई समारोह में वे सभी अधिकारी और नाविक मौजूद रहेंगे जो किसी न किसी रूप में इस जहाज का हिस्सा रहे हैं। मुख्य अतिथि रिटायर्ड एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी होंगे, जो वर्तमान में अंडमान एंड निकोबार के लेफ्टीनेंट गर्वनर हैं।
आईएनएस रंजीत का निर्माण 61 कम्युनार्ड्स शिपयार्ड में हुआ, जो निकोलेव में स्थित है। फिलहाल यह यूक्रेन का हिस्सा है। इसे रशियन नाम ‘लोकली’ दिया गया था। इसका अर्थ ‘तेज’होता है।
1983 में नौसेना का हिस्सा बनने के बाद इस जहाज ने काला सागर, मध्य सागर, लाल सागर, अरेबियन सागर के साथ पश्चिम और पूर्वी सागर के तटीय इलाकों में भी अपनी सेवाएं दी हैं। यह जहाज आईपीकेएफ ऑपरेशन के अलावा कारगिल के दौरान ऑपरेशन तलवार में भी शामिल था।
इस जहाज ने 2004 में टीसुनामी और 2014 के हुड-हुड चक्रवात के बाद चलाए गए नेवी ऑपरेशनों के साथ ही कई देशों के साथ संयुक्त ऑपरेशन में भी हिस्सा लिया। इनमें यूनाइटेड स्टेट्स, चीन और रूस जैसे देश शामिल हैं।