देपालपुर निवासी पंचक्रोशी यात्री ने कहा व्यवस्था अच्छी
चिलचिलाती धूप में यात्री शिव का गुणगान करते अपने गन्तव्य की ओर अग्रसर, कलेक्टर ने उंडासा पड़ाव स्थल पर यात्रियों के हालचाल जाने
उज्जैन | अवन्तिका नगरी प्रधान तीर्थ होने से यहां अनेक देवता चौरासी महादेव के रूप में विराजित हैं। प्रधान तीर्थ के चारों दिशाओं में क्षेत्र की रक्षा हेतु चार द्वारपाल शिवरूप में विराजमान हैं। पंचेशानी अपभ्रंश पंचक्रोशी यात्रा इन्हीं चार द्वारपालों की कथा का वर्णन अवन्तिखण्ड में उल्लेख है। पंचक्रोशी यात्रियों के लिये जिला प्रशासन एवं ग्राम पंचायतों के द्वारा मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। कलेक्टर श्री शशांक मिश्र ने आज गुरूवार 2 मई को प्रात: उप पड़ाव स्थल उंडासा पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लेकर यात्रियों के हालचाल जाने। इस दौरान देपालपुर निवासी से कलेक्टर ने व्यवस्थाओं के बारे में पूछताछ की तो यात्री ने बताया कि व्यवस्था बढ़िया है। कलेक्टर ने यात्रियों से यह भी पूछताछ की कि पैदल चलने से यात्रियों को तकलीफ होती है, इस दौरान पड़ाव स्थलों पर दवाई, मलहम आदि उपलब्ध हो रहे हैं या नहीं, तो यात्रियों ने सामूहिक रूप से कहा कि दवाई, मलहम पर्याप्त है और हमें जरूरत पड़ने पर आसानी से स्वास्थ्य विभाग के अमले द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है।
चिलचिलाती धूप में पंचक्रोशी यात्री अपने अगले गन्तव्य की ओर शिव का गुणगान करते हुए अग्रसर
पंचक्रोशी यात्रा में दूरदराज से श्रद्धालु 118 किलो मीटर की पैदल चलकर यात्रा कर चार द्वारपालों का पूजन-अर्चन, अभिषेक, उपवास, दान, दर्शन करते हैं। चिलचिलाती धूप में पंचक्रोशी यात्री अपने अगले गन्तव्य की ओर शिव का गुणगान, भजन-कीर्तन करते हुए अगले पड़ाव की ओर अग्रसर। कलेक्टर श्री शशांक मिश्र ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ जिला प्रशासन एवं ग्राम पंचायतों के सहयोग से श्रद्धालुओं के लिये की जा रही व्यवस्थाओं का जायजा लेने पड़ाव स्थल उंडासा का भ्रमण कर वस्तुस्थिति से मुखातिब हुए।
पंचक्रोशी यात्रियों का कलेक्टर से कहना है कि यात्रियों के लिये अच्छी व्यवस्था की गई
विश्वास और आस्था की 118 किलो मीटर की पंचक्रोशी यात्रा 29 अप्रैल से प्रारम्भ हुई। यात्रा 3 मई को समाप्त होगी। कलेक्टर श्री शशांक मिश्र ने यात्रियों से व्यवस्थाओं के बारे में जानना चाहा तो पंचक्रोशी यात्रियों ने कहा कि पड़ाव स्थलों पर व्यवस्थाएं अच्छी की गई है। भ्रमण के दौरान कलेक्टर श्री मिश्र के साथ एडीएम डॉ.आरपी तिवारी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी आदि उपस्थित थे।
पंचक्रोशी यात्रा का आज समापन होगा
पंचक्रोशी यात्रा में दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। पंचक्रोशी यात्रा मार्ग में श्री नागचन्द्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव स्थल की दूरी 12 किलो मीटर, पिंगलेश्वर से श्री कायावरोहणेश्वर पड़ाव स्थल की दूरी 23 किलो मीटर, कायावरोहणेश्वर से नलवा उप पड़ाव की दूरी 21 किलो मीटर, नलवा उप पड़ाव से बिल्केश्वर अंबोदिया पड़ाव स्थल की दूरी 6 किलो मीटर, अंबोदिया पड़ाव स्थल से कालियादेह उप पड़ाव स्थल की दूरी 21 किलो मीटर, कालियादेह से जैथल दुर्देश्वर पड़ाव स्थल की दूरी 7 किलो मीटर, दुर्देश्वर पड़ाव स्थल से उंडासा की दूरी 16 किलो मीटर और उंडासा उप पड़ाव से शिप्रा घाट की दूरी 12 किलो मीटर इस प्रकार पंचक्रोशी यात्रा का मार्ग कुल 118 किलो मीटर लम्बा है। पंचक्रोशी यात्रा सोमवार 29 अप्रैल से प्रारम्भ हुई थी, जिसका समापन आज शुक्रवार 3 मई को होगा।
श्री महाकालेश्वर तीर्थ के मध्य में स्थित तीर्थ के चारों ओर चार द्वारपाल शिवरूप में स्थापित
उल्लेखनीय है कि उज्जयिनी तीर्थ नगरी के रूप में मान्यता प्राप्त है। भारत के प्रमुख द्वारदश ज्योतिर्लिंग में उज्जैन में श्री महाकाल विराजित हैं। महाकालेश्वर तीर्थ के मध्य में स्थित है। तीर्थ के चारों दिशाओं में क्षेत्र की रक्षा के लिये भगवान महादेव ने चार द्वारपाल शिव रूप में स्थापित किये, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदाता हैं, जिसका उल्लेख स्कंदपुराण के अवन्तिखण्ड में मिलता है। इन्हीं चार द्वारपाल की कथा, पूजा और परिक्रमा का विशेष महत्व है। पंचक्रोशी की यात्रा के मूल में इसी विधान की भावना है। पंचक्रोशी यात्रा में शिव के पूजन, अभिषेक, उपवास, दान, दर्शन की ही प्रधानता धार्मिक ग्रंथों में मिलती है। स्कंदपुराण के अनुसार अवन्तिका के लिये वैशाख मास अत्यन्त पुनीत है। इसी वैशाख मास के मेष के मेषस्थ सूर्य में वैशाख कृष्ण दशमी से अमावस्या तक इस पुनीत पंचक्रोशी यात्रा का विधान है। उज्जैन का आकार चौकोर है। क्षेत्र के रक्षक देवता श्री महाकालेश्वर का स्थान मध्य बिन्दु में है। इस बिन्दु के अलग-अलग अन्तर से मन्दिर स्थित है, जो द्वारपाल कहलाते हैं। इनमें पूर्व में पिंगलेश्वर, दक्षिण में कायावरोहणेश्वर, पश्चिम में बिल्केवर, तथा उत्तर में दुर्देश्वर महादेव के मन्दिर स्थापित हैं, जो चौरासी महादेव मन्दिर श्रृंखला के अन्तिम चार मन्दिर हैं।