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द्वारपालों की यात्रा करने श्रद्धालु चले पैदल, कलेक्टर श्री मिश्र ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पड़ावों पर की गई व्यवस्थाओं का लिया जायजा


तपन से आस्था भारी 

उज्जैन | बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जयिनी के महाकाल स्वयंभू दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग हैं। प्रधान तीर्थ होने से यहां अनेक देवता चौरासी महादेव के रूप में शिवलिंग के रूप में विराजित हैं। तीर्थ की चारों दिशाओं में क्षेत्र की रक्षा हेतु चार द्वारपाल शिवरूप में विराजमान हैं, जिनका उल्लेख स्कंदपुराण के अन्तर्गत अवन्तिखण्ड में है। पंचक्रोशी यात्रा इन्हीं चार द्वारपालों की कथा है। पंचक्रोशी यात्रा में दूरदराज से श्रद्धालु 118 किलो मीटर की पैदल चलकर यात्रा कर चार द्वारपालों का पूजन-अर्चन, अभिषेक, उपवास, दान, दर्शन करते हैं। भीषण तपन से आस्था भारी है। द्वारपालों की यात्रा करने श्रद्धालु नियमानुसार 29 अप्रैल से पैदल चलकर अपनी यात्रा पूरी करते हैं, परन्तु कई श्रद्धालु 29 अप्रैल के एक-दो दिन पहले से अपनी यात्रा प्रारम्भ कर दी है। कलेक्टर श्री शशांक मिश्र ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ जिला प्रशासन एवं ग्राम पंचायतों के सहयोग से श्रद्धालुओं के लिये की जा रही व्यवस्थाओं का जायजा लेने पड़ाव स्थलों का भ्रमण कर वस्तुस्थिति से मुखातिब हुए। कलेक्टर ने अपने मातहत अधिकारियों को निर्देश दिये कि दूर-दराज से आने वाले यात्रियों की बुनियादी सुविधाएं अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराई जाना सुनिश्चित करें।
“साब घणी अच्छी सुविधा करी”
    विश्वास और आस्था की 118 किलो मीटर की पंचक्रोशी यात्रा 29 अप्रैल से प्रारम्भ हुई। यात्रा 3 मई को समाप्त होगी। कलेक्टर श्री शशांक मिश्र ने मंगलवार 30 अप्रैल को प्रात: पड़ाव स्थलों के भ्रमण के दौरान श्री बिलकेश्वर महादेव अंबोदिया में रतलाम निवासी श्रीमती शैतानबाई ने कहा कि “साब घणी अच्छी सुविधा हमारे लिये करी है”। कलेक्टर श्री शशांक मिश्र ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सर्वप्रथम करोहन, नलवा एवं अंबोदिया पड़ाव स्थलों पर की जा रही व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने यात्रियों से भी व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली। यात्रियों ने कहा कि अभी तक तो हमारे लिये अच्छी व्यवस्था की गई है। पेयजल, स्नान के लिये फव्वारे, छाया हेतु टेन्ट, पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, साफ-सफाई, दैनन्दिनी उपयोग में आने वाली खाद्य सामग्री, स्वास्थ्य के लिये दवाई, मलहम, शौचालय आदि की पड़ाव एवं उप पड़ाव स्थलों पर व्यवस्थाएं की गई हैं। पड़ाव स्थलों पर जिला प्रशासन के साथ ही साथ ग्राम पंचायतों का भी विशेष सहयोग दिया जा रहा है। यात्रा मार्ग में ग्रामीणों के द्वारा यात्रियों के लिये पेयजल, कई किसानों ने अपने खेतों में लगे ट्यूबवेल चालू कर यात्रियों को स्नान, पानी पीने आदि की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। भ्रमण के दौरान कलेक्टर श्री मिश्र के साथ जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री नीलेश पारिख, एडीएम डॉ.आरपी तिवारी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी आदि उपस्थित थे।
यात्रा मार्ग की दूरी
   पंचक्रोशी यात्रा के प्रारम्भ में यात्रियों के द्वारा उज्जैन शहर के पटनी बाजार स्थित श्री नागचंद्रेश्वर महादेव का पूजन-अर्चन कर बल प्राप्त कर अपनी यात्रा प्रारम्भ करते हैं। पंचक्रोशी यात्रा में दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। पंचक्रोशी यात्रा मार्ग में श्री नागचन्द्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव स्थल की दूरी 12 किलो मीटर, पिंगलेश्वर से श्री कायावरोहणेश्वर पड़ाव स्थल की दूरी 23 किलो मीटर, कायावरोहणेश्वर से नलवा उप पड़ाव की दूरी 21 किलो मीटर, नलवा उप पड़ाव से बिल्केश्वर अंबोदिया पड़ाव स्थल की दूरी 6 किलो मीटर, अंबोदिया पड़ाव स्थल से कालियादेह उप पड़ाव स्थल की दूरी 21 किलो मीटर, कालियादेह से जैथल दुर्देश्वर पड़ाव स्थल की दूरी 7 किलो मीटर, दुर्देश्वर पड़ाव स्थल से उंडासा की दूरी 16 किलो मीटर और उंडासा उप पड़ाव से शिप्रा घाट की दूरी 12 किलो मीटर इस प्रकार पंचक्रोशी यात्रा का मार्ग कुल 118 किलो मीटर लम्बा है।
   उल्लेखनीय है कि उज्जयिनी तीर्थ नगरी के रूप में मान्यता प्राप्त है। भारत के प्रमुख द्वारदश ज्योतिर्लिंग में उज्जैन में श्री महाकाल विराजित हैं। महाकालेश्वर तीर्थ के मध्य में स्थित है। तीर्थ के चारों दिशाओं में क्षेत्र की रक्षा के लिये भगवान महादेव ने चार द्वारपाल शिव रूप में स्थापित किये, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदाता हैं, जिसका उल्लेख स्कंदपुराण के अवन्तिखण्ड में मिलता है। इन्हीं चार द्वारपाल की कथा, पूजा और परिक्रमा का विशेष महत्व है। पंचक्रोशी की यात्रा के मूल में इसी विधान की भावना है। पंचक्रोशी यात्रा में शिव के पूजन, अभिषेक, उपवास, दान, दर्शन की ही प्रधानता धार्मिक ग्रंथों में मिलती है। स्कंदपुराण के अनुसार अवन्तिका के लिये वैशाख मास अत्यन्त पुनीत है। इसी वैशाख मास के मेष के मेषस्थ सूर्य में वैशाख कृष्ण दशमी से अमावस्या तक इस पुनीत पंचक्रोशी यात्रा का विधान है। उज्जैन का आकार चौकोर है। क्षेत्र के रक्षक देवता श्री महाकालेश्वर का स्थान मध्य बिन्दु में है। इस बिन्दु के अलग-अलग अन्तर से मन्दिर स्थित है, जो द्वारपाल कहलाते हैं। इनमें पूर्व में पिंगलेश्वर, दक्षिण में कायावरोहणेश्वर, पश्चिम में बिल्केवर, तथा उत्तर में दुर्देश्वर महादेव के मन्दिर स्थापित हैं, जो चौरासी महादेव मन्दिर श्रृंखला के अन्तिम चार मन्दिर हैं।         

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