पंचक्रोशी यात्रा 29 अप्रैल से प्रारम्भ होगी
उज्जैन | पंचक्रोशी यात्रा प्रति वर्षानुसार वैशाख मास की कृष्ण दशमी से प्रारम्भ होकर वैशाख मास की अमावस को समाप्त होगी। पंचक्रोशी यात्रा सोमवार 29 अप्रैल से प्रारम्भ होकर शुक्रवार 3 मई को समाप्त होगी। पड़ाव एवं उप पड़ाव स्थलों पर कलेक्टर ने सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को यात्रियों की सुविधाओं के लिये व्यापक व्यवस्थाएं जैसे- पर्याप्त प्रकाश, साफ-सफाई, स्नानघर, शौचालय, टेन्ट, खाद्य सामग्री हेतु दुकानें, पेयजल आदि की व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिये।
पंचक्रोशी यात्रा में दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। पंचक्रोशी यात्रा मार्ग में श्री नागचन्द्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव स्थल की दूरी 12 किलो मीटर, पिंगलेश्वर से श्री कायावरोहणेश्वर पड़ाव स्थल की दूरी 23 किलो मीटर, कायावरोहणेश्वर से नलवा उप पड़ाव की दूरी 21 किलो मीटर, नलवा उप पड़ाव से बिल्केश्वर अंबोदिया पड़ाव स्थल की दूरी 6 किलो मीटर, अंबोदिया पड़ाव स्थल से कालियादेह उप पड़ाव स्थल की दूरी 21 किलो मीटर, कालियादेह से जैथल दुर्देश्वर पड़ाव स्थल की दूरी 7 किलो मीटर, दुर्देश्वर पड़ाव स्थल से उंडासा की दूरी 16 किलो मीटर और उंडासा उप पड़ाव से शिप्रा घाट की दूरी 12 किलो मीटर इस प्रकार पंचक्रोशी यात्रा का मार्ग कुल 118 किलो मीटर लम्बा है।
उल्लेखनीय है कि उज्जयिनी तीर्थ नगरी के रूप में मान्यता प्राप्त है। भारत के प्रमुख द्वारदश ज्योतिर्लिंग में उज्जैन में श्री महाकाल विराजित हैं। महाकालेश्वर तीर्थ के मध्य में स्थित है। तीर्थ के चारों दिशाओं में क्षेत्र की रक्षा के लिये भगवान महादेव ने चार द्वारपाल शिव रूप में स्थापित किये, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदाता हैं, जिसका उल्लेख स्कंदपुराण के अवन्तिखण्ड में मिलता है। इन्हीं चार द्वारपाल की कथा, पूजा और परिक्रमा का विशेष महत्व है। पंचक्रोशी की यात्रा के मूल में इसी विधान की भावना है। पंचक्रोशी यात्रा में शिव के पूजन, अभिषेक, उपवास, दान, दर्शन की ही प्रधानता धार्मिक ग्रंथों में मिलती है। स्कंदपुराण के अनुसार अवन्तिका के लिये वैशाख मास अत्यन्त पुनीत है। इसी वैशाख मास के मेष के मेषस्थ सूर्य में वैशाख कृष्ण दशमी से अमावस्या तक इस पुनीत पंचक्रोशी यात्रा का विधान है। उज्जैन का आकार चौकोर है। क्षेत्र के रक्षक देवता श्री महाकालेश्वर का स्थान मध्य बिन्दु में है। इस बिन्दु के अलग-अलग अन्तर से मन्दिर स्थित है, जो द्वारपाल कहलाते हैं। इनमें पूर्व में पिंगलेश्वर, दक्षिण में कायावरोहणेश्वर, पश्चिम में बिल्केवर, तथा उत्तर में दुर्देश्वर महादेव के मन्दिर स्थापित हैं, जो चौरासी महादेव मन्दिर श्रृंखला के अन्तिम चार मन्दिर हैं।
पंचक्रोशी यात्रा का पुण्य मुहुर्त के अनुसार तीर्थस्थल पर पूजन, दर्शन आदि से ही प्राप्त होता है। पंचक्रोशी यात्री निर्धारित समय के अनुसार यात्रा करें तो पुण्यफल के साथ व्यवस्था में भी सहयोग मिलेगा तथा जिला पंचायत, प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं का लाभ यात्रियों को मिल सकेगा और आगे के पड़ाव स्थल पर व्यवस्थाओं में सुविधा होगी। यात्रियों की सुविधा के लिये यथासंभव प्रकाश, छाया, पड़ाव स्थलों पर पेयजल, नगर निगम, जनपद पंचायत उज्जैन एवं घट्टिया तथा सम्बन्धित ग्राम पंचायतों द्वारा जिला प्रशासन की मदद से की जाती है। इसी प्रकार चिकित्सा पेयजल व्यवस्था आदि सम्बन्धित विभागों के द्वारा की जाती है।