विश्व मलेरिया दिवस 25 अप्रैल को
उज्जैन | मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.रजनी डाबर ने बताया कि गुरूवार 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जायेगा। मलेरिया मादा एनाफिलीज नामक मादा मच्छर के काटने से फैलता है। अधिकांश मलेरिया के मच्छर रूके हुए पानी में पैदा होते हैं यह मच्छर जब मलेरिया से पीड़ित किसी मरीज का खून चूसता है तो मलेरिया के कीटाणु मच्छर के पेट में चले जाते हैं और मच्छर जब स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसके शरीर में मलेरिया के कीटाणु छोड़ देता है। इसके लक्षणों में मुख्य रूप से तेज ठंड लगकर बुखार आना, हाथ पैर में तेज दर्द होना, उल्टी होना आदि है।
मलेरिया से बचाव के लिए सोते समय हमेशा मच्छरदानी का प्रयोग करें, घरों के आसपास पानी जमा न होने दें, कोई भी बुखार आने पर तुरन्त खून की जांच करायें क्योंकि यह मलेरिया भी हो सकता है। मलेरिया पाये जाने पर पूर्ण उपचार लें। विभाग द्वारा मलेरिया बुखार के सभी रोगियों की जांच एवं उपचार निःशुल्क कराये जाने की व्यवस्था की गई है। उपस्वास्थ्य केन्द्र एवं ग्रामीण क्षेत्रों तक रेपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट किट से मलेरिया की जांच की जा रही है। मलेरिया पाये जाने पर फेल्सिफेरम के रोगी को 03 दिवस का पूर्ण उपचार एवं वायवेक्स मलेरिया पाये जाने पर 14 दिन का पूर्ण निःशुल्क कराये जाने की व्यवस्था है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के अन्तर्गत आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है कि ठंड देकर बुखार आना, पसीना देकर बुखार उतरना, कंपकपी आना, जी मचलाना, सिर दर्द, उल्टी इत्यादि मलेरिया के लक्षण हैं। बुखार आने की स्थिति मे जांच एवं उपचार जरूरी है। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें, पूरी आस्तिन के कपड़े पहने, घर के आस-पास पानी जमा न होने दें, एकत्र पानी की निकासी करें, जहां पानी की निकासी का प्रबंध न हो ऐसे गड्ढे में जला हुआ आईल, मिट्टी का तेल डालें। इससे मच्छरों के लार्वा नष्ट हो जाते है। गर्भवती महिलाओं को बुखार आने पर चिकित्सक की सलाह से उपचार लें।