जेट एयरवेज बंद होने से 22 हजार कर्मचारियों पर रोजी-रोटी का संकट, प्रधानमंत्री से लगाई गुहार
नई दिल्ली। जेट एयरवेज से जुडे बाइस हजार कर्मचारियों के परिवारों की नींद उड़ गई हैं। जब जेट एयरवेज ने अपनी सेवाएं बंद कर दी। अब उनके यह बात समझने में नहीं आ रही है कि अब वे ऐसी स्थिति में वे क्या करें।
करीब दो दशक से जेट एयरवेज के कर्मचारियों की जिंदगी अच्छी तरह उड़ान भर रही थी, अचानक ऐसी दुखत घटना घटी कि अपना दर्द बयान करते हुए उनका गला रुंध जाता है, आंखों में आंसू छलक पड़ते हैं। जेट एयरवेज कर्मचारियों के संगठन ने प्रधानमंत्री से सहायता करने की गुहार लगाई है।
कुछ कर्मचारियों को दूसरी एयरलाइंस से आधी सैलरी पर काम करने का ऑफर मिला है, बाकी को कल का पता नहीं। इनके अलावा ट्रैवल एजेंट्स और एयरपोर्ट आउटलेट्स पर भी काफी असर पड़ा है। यह पिछले पांच साल में बंद होने वाली सातवीं एयरलाइन कंपनी है। बैंकों ने कर्ज में डूबी कंपनी को और सहायता देने से इनकार कर दिया है। गुरुवार को कंपनी के ढेरों कर्मचारियों ने जंतर-मंतर पर बड़ा विरोध प्रदर्शन भी किया । इसे साइलेंट अपील का नाम दिया गया। एयरलाइंस में नौकरी पाना एक समय सपना माना जाता था लेकिन अब यह चार्म खत्म होता नजर आ रहा है।
जेट एयरवेज कर्मचारियों का कहना है कि पिछले 4 महीने से सैलरी नहीं मिली है। घर के लिए लोन लिया हुआ है, बच्चे हैं, स्कूल फीस भरनी होती है। अगर घर की किस्त नहीं दी, तो बैंक डिफॉल्टर घोषित कर देगा। बिना सैलरी के कितने दिन तक घर का खर्च कैसे चलेगा, यह सोचकर पूरा परिवार चिंता में डूबा हुआ है। आपको बताते जाए कि कोई को-पायलट बनता है तो उसकी प्रशिक्षण में खर्च करीब सवा करोड़ रुपए के आसपास आता है।