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महापुरुष सुख दुख में समान, श्री राम का सम्पूर्ण जीवन यज्यमय- वैद्य पण्ड्या


 
उज्जैन। भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम आजीवन परिवार, समाज व राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य पालन के आदर्श निर्वहन के प्रतीक रहे, जिस प्रकार सूर्य उदय व अस्त दोनों अवस्था में लाल प्रभायमान रहता है वैसे ही राजतिलक की सुचना व वनवास की सुचना दोनों अवसरो राम सम अवस्था मे रहे।
उक्त विचार वैदिक विद्वान वैद्य बीएल पण्डया ने रामनवमी पर्व पर आर्य समाज मंदिर में व्यक्त किये। इसके पूर्व पं. राजेन्द्र व्यास ने कहा कि आज राम के चित्र के स्थान पर चरित्र को स्मरण करने की आवश्यकता है भगवान श्री राम का पूरा जीवन वैदिक सिद्धांतो, परोपकार व त्याग से परिपूर्ण था। प्रारम्भ मे आचार्य प्रतीक के पोरोहित्य मे यजमानों द्वारा देव यज्य मे विशेष आहुति दी गई। ईश्वर स्तुति प्रार्थना  वानप्रस्थी मालाकार ने की। भजन ओमदत्त आर्य ने प्रस्तुत किये। प्रधान डॉ. मणीन्द्र व्यास ने उपस्थित आर्यजनों को रामनवमी पर्व की बधाई दी। संचालन मंत्री संजय सोनी ने किया। शान्ति पाठ व वैदिक जयघोष प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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