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फायनेंस कंपनी ने किया धोखा, पीएचई कर्मचारी के जाली दस्तखत कर की जालसाजी


 
ब्याज ज्यादा होने पर लोन लेने गए पिता-पुत्र ने मना किया, फिर भी किसी तीसरे के नाम से निकाल दिया लोन-पुलिस कार्रवाई करने की बजाए कर रही समझौते के प्रयास
उज्जैन। जगोटी निवासी राजेश परमार पिता रमेश परमार निवासी जगोटी ने इंदौर रोड़ पर मुनिनगर तालाब के समीप स्थित एस.के. फायनेंस कंपनी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। जिसमें कहा गया कि फायनेंस कंपनी द्वारा उसके पिता के जाली साईन कर मना करने के बावजूद उनके नाम लोन निकाल दिया और लोन का चेक किसी तीसरे व्यक्ति के नाम बनाया। वहीं अब फायनेंस कंपनी द्वारा उसकी गाड़ी जबरिया उठवा ली गई वहीं पुलिस भी कंपनी के खिलाफ एफआईआर करने की बजाय कंपनी से समझौता करने के लिए दबाव बना रही है। 
राजेश परमार के अनुसार 9 जून 2018 को बोलेरो जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर एमपी 09 सीएम 1016 है, अशोक देवड़ा निवासी खांडाखेड़ी तहसील तराना को एक लाख रूपये नगद देकर खरीदी थी बाकी 3 लाख 35 हजार फायनेंस करवाकर देना थे। गाड़ी मेरे नाम पर होने के बाद एस.के. फायनेंस में फाईल लगाई थी। परंतु ब्याज ज्यादा होने के कारण मैने लोन लेने से मना कर दिया था। साथ में मेरे पिता रमेश परमार के भी कागज लगे थे, फिर भी बिना साईन के मेरा लोन कर दिया गया और मेरे पापा के फर्जी हस्ताक्षर कंपनी द्वारा कर दिये गये और कंपनी द्वारा कहा गया था कि हम चेक तुम्हारे नाम से जारी करेंगे और रूपये तुम्हारे खाते में जमा होंगे। परंतु कंपनी द्वारा मुझे न देते हुए तीसरे व्यक्ति को चेक दे दिया जिसको मैं जानता ही नहीं हूं। जिसे चेक दिया उसका नाम ज्ञानेन्द्रसिंह है। परमार ने कहा मेरा विवाद उपभोक्ता फोरम में चल रहा है इस बीच बिना नोटिस दिये कंपनी द्वारा बिना सूचना किए मेरी गाड़ी उठा ली गई। मुझसे 500 रूपये का स्टाम्प भी मंगवाया गया और उसमें लिखवाया गया था कि लोन के पैसे तुम्हारे खाते में ही जाएंगे। परंतु ऐसा नहीं किया गया। अब मुझे मारने के लिए कंपनी के लोग आए थे, कई बार घर पर भी आये जब मैं माधवनगर थाने रिपोर्ट लिखवाने गया तो टीआई ने मुझसे आवेदन लिया। इस बात को 15 दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। टीआई ने मेरी रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया। टीआई मुझे फोन लगाकर थाने एफआईआर लिखने के लिए बुलाते हैं और थाने पहुंचने पर मुझसे कंपनीकी ओर से समझौता करने की बात करते हैं। मेरी फरियाद पर कोई ध्यान नहीं देते 

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