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गांधी का भारत बनाने के लिए गरीबी दूर करनी होगी



डॉ जोशी के महाकाव्य “महात्मायन“ का लोकार्पण-सद्भावना स्मारिका का हुआ विमोचन
उज्जैन। “आज का भारत गांधी के सपनों का भारत नहीं है। उसे गांधी के सपनों का भारत बनाने के लिए गरीबी, भुखमरी, बेकारी, अस्पृश्यता को सदा के लिए मिटाना होगा।
उक्त विचार अतिथि वक्ताओं ने महात्मागांधी के 150वें जन्मशती वर्ष में वरिष्ठ कवि, सम्पादक, शिक्षाविद् डॉ. देवेन्द्र जोशी द्वारा गांधीजी के समग्र व्यक्तित्व पर रचित महाकाव्य “महात्मायन“ के लोकार्पण एवं अभा सद्भावना व्याख्यान माला की स्मारिका के लोकार्पण अवसर पर व्यक्त किए। लोकार्पण कार्यक्रम के अतिथि वक्ता वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया भोपाल ने ’गांधी लोकतंत्र और धर्म निरपेक्षता पर तथा प्रमुख वक्ता गांधीवादी चिन्तक अनिल त्रिवेदी इन्दौर ’गांधी कल, आज और कल’ विषय पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी प्रेम नारायण नागर थे तथा अध्यक्षता गांधी भवन न्यास भोपाल के सचिव दयाराम नामदेव ने की। महाकाव्य की समीक्षा करते हुए श्रीराम दवे ने कहा कि यह महाकाव्य मोहनदास के करमचंद बनने की एक सार्थक काव्यकथा है। महात्मा गांधी सेवा प्रतिष्ठान और भारतीय ज्ञानपीठ के इस संयुक्त आयोजन में पद्मभूषण डॉ शिवमंगल सिंह सुमन स्मृति शोडष अभा सद्भावना व्याख्यान 2018 में व्यक्त विचारों पर आधारित स्मारिका की समीक्षा डॉ देवेन्द्र जोशी ने की। अतिथियों का स्वागत सूत की माला पहनाकर किया गया। सीमा जोशी ने वैष्णव जन्तू तेने कही जै पीर पराई गीत प्रस्तुत किया। विद्यार्थियों ने सर्वधर्म प्रार्थना प्रस्तुत की। अतिथियों ने गांधीजी और कस्तूरबा के चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्वागत भाषण कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ ने दिया। संचालन अमृता कुलश्रेष्ठ ने किया एवं आभार क्रांतिकुमार वैद्य ने माना।

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