दुष्कर्म शिरोमणि प्रदेश में मासूम और अबलाएें असुरक्षित - आचार्य सत्यम्
सत्ताधारी और संघ सुरक्षित....!
उज्जैन। मालव रक्षा अनुष्ठान के संयोजक आचार्य सत्यम् ने आरोप लगाया कि प्रदेश की राजधानी भोपाल में महाराणा प्रताप और शिवाजी के कथित वीर वारिसों के संगठन कार्यालय की सुरक्षा हटाते ही आसमान फट पड़ा। पूर्व और वर्तमान मुख्यमंत्री सिर के बल खड़े हो गए और 6 घण्टे में ही संघ कार्यालय फिर से सुरक्षा घेरे में ले लिया गया। प्रदेश के वर्तमान और पूर्व सत्ताधारियों के इन्हीं कर्मों के कारण अभागा मध्यप्रदेश कांग्रेस और भाजपा शासनकाल में पूरे देश में दुष्कर्म शिरोमणि रहा है तथा पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्रसंघ ने छप्पन ईंची छाती वाले सुल्ताने हिन्द के मुंह पर देश की राजधानी को भी रेप केपिटल बनाने के लिए करारा थप्पड़ जड़ा था, लेकिन यह देवभूमि भारत का दुर्भाग्य है कि ऐसे बेशर्म शासकों को आज भी शर्म नहीं आ रही है।
आचार्य सत्यम् ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा था ‘‘जासु राज प्रिय प्रजा दुखारि, सो नृप अवसि नरक अधिकारी‘‘ यह ध्रुव सत्य है कि जनता के खून पसीने पर ऐशो आराम और अपने सुरक्षा कवच का निर्माण करने वाले कथित लोकतंत्री शासक और जनसेवक अवश्य अपने
कर्मों का दण्ड भोगेंगे, लेकिन हमारे स्वाधीनता संग्राम के बलिदानी वीरों ने हमें अपने शासकां को चुनने का जो अधिकार दिया है, उसका सम्मान और सदुपयोग करना भारत के नागरिक कब सीखेंगे? कब तक अपने देश और भविष्य को दोगले और जन-विरोधी शासकों से लुटवाते रहेंगे? आचार्य सत्यम् ने कांग्रेस और विशेषकर भोपाल लोकसभा प्रत्याशी दिग्गी राजा पर आरोप लगाया कि उनकी और शिवराज सत्ता की तरह प्रदेश में आज भी मासूमों के अपहरण और बलात्कार तथा हत्याएँ जारी हैं, जिसके संबंध में पंगु सरकार और उसके कथित चाणक्य ने आज तक मुंह नहीं खोला है और संघ कार्यालय की सुरक्षा हटाते ही वे सिर के बल खड़े हो जाते हैं। भारतीय नारियों की सम्मान रक्षा के लिए कुरूक्षेत्र सजाने वाले योगेष्वर श्रीकृष्ण गोपाल की गुरूकुल नगरी में उनके पुत्र की विभागीय कपिला गौशाला में सैंकड़ों गायों की अकाल मृत्युओं, मासूम कन्याओं के अपहरण, दुष्कर्मों और हत्याओं तथा मोक्षदायिनी शिप्रा सहित देश की नदियों में घुलते ज़हर के मामले में जब हम आमरण अनशन करते हैं तो कभी हमारे प्रशंसक रहे दिग्गी महाकाल और हरसिद्धी दर्शन कर बगल से कन्नी काट जाते हैं और जीवन की संध्या में भी कुर्सी पाने के लिए मंदिर-मंदिर माथा टेककर भिखारियों को नोट बांटते हुए पकड़े जाते हैं। क्या यही धर्म, न्याय और जनसेवा है? दिग्गी और कांग्रेस को जवाब देना होगा तथा संघ और नकली रामभक्तों को भी प्रदेश के गरीबों के खून-पसीने की कमाई पर अपनी सुरक्षा के संबंध में निश्चय ही स्पष्टीकरण देना होगा।