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डाॅ जोशी के महाकाव्य ‘महात्मायन’ का लोकार्पण आज


 

गांधी दर्शन पर व्याख्यान और सद्भावना स्मारिका का भी होगा विमोचन

उज्जैन। महात्मागांधी के 150 वें जन्मशती वर्ष में वरिष्ठ कवि, सम्पादक, शिक्षाविद् डाॅ देवेन्द्र जोशी द्वारा गांधी जी के समग्र व्यक्तित्व पर रचित महाकाव्यष्महात्मायनष्  का लोकार्पण एक गरिमामय समारोह में 4 अप्रैल को शाम 4 बजे भारतीय ज्ञानपीठ में होगा।।

उक्त जानकारी देते हुए आयोजन समिति के अध्यक्ष क्रांतिकुमार वैद्य ने बताया कि कार्यक्रम के अतिथि वक्ता वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया, भोपाल  श् गांधी ,लोकतंत्र  और धर्म निरपेक्षता पर तथा प्रमुख वक्ता गांधीवादी चिन्तक अनिल त्रिवेदी , इन्दौर श्गांधी कल, आज और कल श् विषय पर व्याख्यान देंगे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ  स्वतंत्रता सेनानी प्रेम नारायण नागर होंगे तथा अध्यक्षता गांधी भवन न्यास भोपाल के सचिव दयाराम नामदेव करेंगे। महात्मा गांधी सेवा प्रतिष्ठान और भारतीय ज्ञानपीठ के इस संयुक्त आयोजन में पद्मभूषण डाॅ शिवमंगल सिंह सुमन स्मृति  शोडष अ भा सद्भावना व्याख्यान 2018 में व्यक्त विचारों पर आधारित स्मारिका का भी अतिथियों के हाथों विमोचन होगा।

उल्लेखनीय है  कि डाॅ जोशी की इस काव्य पुस्तक में गांधी जी के जीवन को 28 प्रसंगों के माध्यम से  व्यक्त किया गया है। जिनमें उनके पूर्वज, बचपन, शिक्षा, विलायत प्रवास, रंगभेद संघर्ष, प्रथम श्रेणी डिब्बे से उतारने की घटना , कीमती उपहारों को लेकर पति -पत्नी की नोकझोक और ट्रस्ट बनाकर उपहारों का त्याग, सर्वोदय प्रस्फुटन, गोरों के हाथों गांधी जी की पिटाई, नमक आन्दोलन, चम्पारन सत्याग्रह, कांग्रेस की अध्यक्षता, दलितोद्धार, भारत छोडो आन्दोलन आदि  प्रसंग प्रमुख हैं। 

पुस्तक का प्रकाशन महात्मा गांधी सेवा प्रतिष्ठान उज्जैन ने किया है। पुस्तक क्रांतिकारियों पर 15 महाकाव्य लिखने वाले श्रीकृष्ण सरल को समर्पित की गई है।उल्लेखनीय है कि नगर के प्रखर पत्रकार और कवि डाॅ देवेन्द्र जोशी इससे पूर्व सिंहस्थ और उज्जैन पर भी एक वृहद ग्रंथ लिख चुके हैं। उनकी करीब आधा दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। अब तक करीब 1 लाख पृष्ठों का रचनात्मक सृजन, 5 हजार से अधिक लेखों का प्रकाशन,2 हजार विद्यार्थियों को वक्तृत्व प्रशिक्षण, 1 हजार कविताओं का सृजन तथा 75 से अधिक शोध पत्र लेखन करने वाले  डाॅ जोशी की दो पुस्तकें दिल्ली और जयपुर से प्रकाशनाधीन है। वे विगत 35 वर्षों से साहित्य साधनारत हैं । देश के प्रमुख राष्ट्रीय और प्रादेशिक समाचार पत्रों मे उनका लेखन नियमित जारी है।

 

उनका यह महाकाव्य नई पीढी को ध्यान में रखकर सहज - सरल भाषा में चतुष्पदी में लिखा गया है। आज के डिजिटलाइजेशन और इन्टरनेट के युग में गांधी जी से दूर होती जा रही नई पीढी में महात्मा गांधी के प्रति कविताओं के जरिए रूचि जगाने की रचनाकार की यह विनम्र कोशिश है। 

इस महाकाव्य को लिखने की जरूरत इसलिए महसूस हुई कि गांधी जी एक राष्ट्रनायक के साथ ही समाज दृष्टा भी थे। उनके सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह और सदाचार के आदर्शों की आज पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है। निरंतर अहिंसक और अराजक होते समाज में साहित्य और कला की नगरी उज्जैन से 150 वें जयंती वर्ष में पूज्य बापू को सच्चे अर्थों में ये रचनात्मक काव्यांजलि है। आयोजन समिति के कृष्ण मंगल सिंह कुलश्रेष्ठ और प्रदीप जैन ने सभी से आयोजन में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की है।

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