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चांदी की 108 ध्वजा के साथ चांदी के रथ पर निकले प्रथम तीर्थंकर


 
जल संचय, हथकरघा, राष्ट्रीय एकता, देशी सामान का उपयोग, आचार्य श्री के सात बिंदुओं को समझें -दुर्लभ मति माताजी
प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान की जयंती पर निकला जुलूस, अभिषेक एवं माताजी के प्रवचन हुए
उज्जैन। आदिनाथ जन्म जयंती पर शुक्रवार को दिगंबर जैन समाज की देश की सबसे बड़ी संस्था महासमिति के तत्वावधान में दुर्लभमति माताजी के सानिध्य में उज्जैन के इतिहास में पहली बार सभी महिला और पुरुष पैरों में बिना कुछ पहने जुलूस में सम्मिलित हुए। कतार बद्ध तरीके से धूमधाम व अनुशासन के साथ निकले जुलूसे में सर्वप्रथम बड़ी धर्म ध्वजा, बैंड बाजों, चांदी के रथ पर 108 धर्म ध्वजा, महिलाएं केसरिया वस्त्र में सर पर शास्त्र लेकर व पुरुष भगवान के चांदी के रथ को स्वयं खींच रहे थे। 
जुलूस पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर फ्रीगंज से शहीद पार्क, कल्याण मल मंदिर, इंदिरा गांधी चौराहा टावर होता हुआ पुनः फ्रीगंज मंदिर पहुंचा। समाज ने माताजी को श्रीफल समर्पित किए व आचार्य श्री और भगवान के चित्र का अनावरण, दीप प्रज्वलन सकल दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के अध्यक्ष अशोक जैन चायवाला, महासमिति उज्जैन के अध्यक्ष  रमेश जैन एकता, निर्मल सोनी, नितिन डोशी, मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र बड़जात्या, पुष्पा बज, धर्मेंद्र सेठी, सचिन कासलीवाल ने किया। माताजी के सानिध्य में आचार्यश्री व आदिनाथ भगवान की पूजा पाठशाला के छोटे-छोटे बच्चों द्वारा अर्ध समर्पित कर की गई। संपूर्ण समाज ने माताजी को  शास्त्र भेंट किया जिसमें प्रथम शास्त्र भेंट का सौभाग्य नरेंद्र नितिन दोषी को प्राप्त हुआ। चांदी के रथ पर श्रीजी को लेकर वीरसेन जैन बैठे एवं फ्रीगंज मंदिर की पाठशाला का कलश सुनील जैन इंजीनियर को प्राप्त हुआ। कैलाशचंद जैन दादा एवं अशोक जैन चायवाला ने अपना उद्बोधन देते हुए माताजी को ग्रीष्मकालीन एवं चातुर्मास उज्जैन में करने का निवेदन किया। तत्पश्चात माता जी के प्रवचन एवं भगवानजी के अभिषेक व शांति धारा रमेश जैन एकता, दिनेश जैन, महेश जैन, आशीष जैन, लविश जैन परिवार को प्राप्त हुआ। स्वल्पाहार सुगनचंद सेठी परिवार द्वारा कराया गया। मंच संचालन धर्मेंद्र जैन ने किया एवं आभार कमल मोदी ने माना। महासचिव एवं महासमिति के प्रवक्ता सचिन कासलीवाल ने बताया कि शुक्रवार चैत्र कृष्ण नवमी पर श्री आदिनाथ भगवान, प्रथम तिर्थंकर का जन्मकल्याणक होने के कारण उज्जैन में विगत 16 वर्षों से महासमिति मां समिति द्वारा जुलूस निकालकर श्री आदिनाथ भगवान अभिषेक किए जाते हैं इस वर्ष भी दुर्लभ मति माताजी ससंघ के सानिध्य में संपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किये गए जिसमें सकल दिगंबर जैन समाज, सामाजिक संसद उज्जैन, श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर पुरानी सब्जी मंडी, नारी चेतना मंडल एवं जैन मित्र मंडल के विशेष सहयोग के साथ संपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
जुलूस में माता जी के स्वयं के निर्देशन में समाजजन चल रहे थे एवं पाठशाला के छोटे-छोटे बच्चों का बैंड भी जुलूस में आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। माताजी के विशेष प्रवचन हुए जिसमें माताजी ने कहा कि मनुष्य जन्म से नहीं कर्म से महान होता है जो अपनी आत्मा के अंदर यात्रा करते हैं वह 1 दिन स्वयं भगवान बन जाते हैं। जैन धर्म बड़ी मुश्किल से प्राप्त होता है। भगवान महावीर के सिद्धांतों पर भारत की संस्कृति विद्यमान है अहिंसा परमो धर्म, जियो और जीने दो सिद्धांत सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं। प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने हमें जीने की कला सिखाई और उत्तम कृषि मध्यम व्यापार कि सीख प्रदान की एवं प्रवचन में कहा कि भारतीय संस्कृति अपने ही देश में निर्मित करने वाली वस्तुओं के आधार पर चलती है विदेशी वस्तुओं की होली जलाना चाहिए। जैविक खेती करना चाहिए, हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए, गरीबों को सहयोग, जल संचय, गुणवत्ता वाली शिक्षा एवं राष्ट्रीय एकता बनाए रखने जैसे सात आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के बिंदुओं को भी दुर्लभ मति माताजी ने अपने प्रवचनों में समझाया।

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