पहले 67 करोड़ का भुगतान, फिर हो मजदूर परिवारों से मकान अधिग्रहण की कार्रवाई
मुख्यमंत्री से आग्रह मिल की जमीन पर डले उद्योग ताकि बेरोजगारों को मिल सके रोजगार
उज्जैन। बिनोद बिमल मिल की 18 हेक्टेयर (90 बीघा) जमीन प्रशासन के हाथ में आने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ से जिला कांग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग के पूर्व जिलाध्यक्ष नरेन्द्र हुकमचंद कछवाय ने आग्रह किया कि पहले मजदूरों का बकाया 67 करोड़ का भुगतान किया जाए बाद में मिल मजदूरों के परिवारों से मकान अधिग्रहण करें। इसके साथ ही मिल की इस जमीन पर बड़े उद्योग धंधे को स्थापित किया जाए ताकि उज्जैन को एक बड़ा उद्योग मिल सके और मिल मजदूर परिवारों के साथ अन्य शहर के बेरोजगारों को नौकरी।
नरेन्द्र कछवाय ने कहा कि 22 वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से बिनोद विमल मिल के मजदूरों व परिजनों को न्याय मिला। इस दरमियान मजदूरों के परिवारों के बच्चों की पढ़ाई छूट गई, रोजगार के लिए पलायन करना पड़ा, परिवारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई मजदूर स्वर्ग सिधार गये, बच्चे दर-दर की ठोकरे खाते हुए होटलों में सफाई कार्य करने के लिए मजबूर हो गये। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मजदूर परिवारों के चेहरे खिल गये हैं। कछवाय ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से विशेष आग्रह करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद उज्जैन के बिनोद विमल मिल के विषय को गंभीरता से लेते हुए सर्वप्रथम 4 हजार के लगभग मजदूर एवं 200 परिवारों से अधिक लोग उक्त परिसर में रहते हैं, उन लोगों का भुगतान पहले करें उसके बाद ही उनके मकानों को अपने अधिन करें। अब तक इन लोगों की हालत बद से बदतर हो गयी है। साथ ही मुख्यमंत्री से अनुरोध करते हुए नरेन्द्र कछवाय ने कहा कि आपके देश-विदेश में काफी उद्योगपतियों से संबंध है चाहे तो मिल की इस 18 हेक्टेयर जमीन पर पुनः बड़े उद्योग को स्थापित कर शहर में बढ़ती बेरोजगारी को रोकते हुए उज्जैन के ही युवक-युवतियों को रोजगार के अवसर मिले ऐसा प्रयास करें। विशेषकर मिल मजदूरों के परिजनों को इसमें प्राथमिकता दी जावे। उक्त बेशकीमती जमीन को म.प्र. सरकार बेचे नहीं बल्कि उद्योग धंधे स्थापित कर उज्जैन को रोजगार के क्षेत्र में उन्मुखी बनावे। आज भी उज्जैन जिले के लोग देवास, इंदौर जाते हैं। उज्जैन के लगभग सभी उद्योग इस्को पाईप, मॉर्डन फूड इंड, श्री सिंथेटिक्स, सोयाबीन प्लांट सहित कई बड़े उद्योग सत्यनारायण जटिया के लंबे संसदीय कार्यकाल के रहते हुए एवं म.प्र. में सुंदरलाल पटवा की भाजपा सरकार के चलते बंद हुए थे।