आदित्य बिड़ला के ग्रेसिम को चंबल के सर्वनाश की मंजूरी?-आचार्य सत्यम्
उज्जैन। मालव रक्षा अनुष्ठान के संयोजक आचार्य सत्यम् ने स्वतंत्र भारत के शासकों को निजी उद्योगों को देश की जल सम्पदा तथा पर्यावरण का सर्वनाश करने की खुली छूट देने के लिए उत्तरदायी ठहराते हुए आरोप लगाया कि एशिया के सबसे बड़े भारी रासायनिक उद्योग ग्रेसिम और उसकी सहयोगी कंपनियों द्वारा भारत के कानूनों को धता बताकर चम्बल, यमुना और गंगा में ज़हर घोलने का लायसेंस सत्ताधारियों ने दे रखा है। पं. जवाहरलाल नेहरू ने तत्कालीन सच्चे जन प्रतिनिधियों के दबाव में विस्कोस रेयान सर्वे रिपोर्ट भारत के कई नामी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के माध्यम से भारत सरकार की ओर से पिछले 70 के दशक में प्रस्तुत करवाई थी, जिसमें नागदा के बिड़ला के भारी रासायनिक उद्योग ग्वालियर रेयान से औद्योगिक प्रदूषण के कारण क्षेत्रीय नागरिकों और पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचने और उद्योग के मजदूरों को होने वाली कई गंभीर और प्राणघातक बीमारियों के उपचार के संबंध में सिफारिशें की गई थी, जो आज तक लागू नहीं हुई। पं. नेहरू के बाद कोई प्रधानमंत्री और प्रदेश का मुख्यमंत्री ऐसा नहीं हुआ, जिसने हमारी और नागदा के जन नेताओं की लगातार मांगों पर फिर से वैज्ञानिक जांच अथवा जनहित में कोई विशेषज्ञ रिपोर्ट उद्योगों का उत्पादन कई गुना बढ़ जाने पर भी प्राप्त की हो। आचार्य सत्यम् ने बताया कि हमारे द्वारा ही बाध्य होकर पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष स्व. न्यायमूर्ति व्ही.एम. तारकुण्डे के सहयोग से वैज्ञानिक व्ही.टी. पद्मनाभन से चम्बल के प्रदूषण और क्षेत्रीय पर्यावरण को ग्रेसिम उद्योग के जल और वायु प्रदूषण से घातक रसायनों और प्राणघातक जहरीली गैसों से मानव और वनस्पति जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों के संबंध में वैज्ञानिक रिपोर्ट प्राप्त कर 90 के दशक में प्रकाशित करवाई थी, जिसे दबाने के भरपूर प्रयास उद्योग प्रबंधकों द्वारा किए गए थे। पौराणिक महानदी चम्बल को बिड़ला उद्योग समूह के यहां गिरवी रख दिया गया है, उसकी अगाध जलराशि का निःशुल्क दोहन कर और उसमें निरंतर ज़हर घोलकर जलजीवों, क्षेत्रीय नागरिकों, मवेशियों तथा पर्यावरण सहित कलकत्ता तक भगवती गंगा को भी ज़हर का परनाला बनाने की खुली छूट बिड़ला भक्त शासकों ने दे रखी है और अब इस उद्योग ने अपने ज़हरीले उत्पादों का उत्पादन लगभग दुगना करने तक की अनुमति शासकीय निकायों से मांगी है, जो बिड़ला भक्त शासक-प्रशासक देने के लिए सिर के बल खड़े हैं। पिछले वर्ष शिवराज सरकार उद्योग को नदी किनारे ज़हरीले पानी से वृक्षारोपण के लिए 250 हेक्टेयर जमीन दे रही थी, जिसे हमने रोका था और इस षड़यंत्र के विरूद्ध भी निर्णायक जंग होगी।