चुनाव में कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी सही प्रकार से निभायें, निर्वाचन आयोग के निर्देश
उज्जैन। लोकसभा निर्वाचन को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से सम्पन्न कराने के लिये भारत निर्वाचन आयोग द्वारा गत 10 मार्च की शाम को निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा के बाद से ही आदर्श आचार संहिता प्रभाव में है। आयोग ने शासकीय अमले को निर्देश दिये हैं कि वे अपनी जिम्मेदारी सही प्रकार से निभायें। शासकीय सेवकों का यह दायित्व है कि निर्वाचन आयोग के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करें एवं निर्वाचन के दौरान अपने आचरण एवं व्यवहार में पूर्ण निष्पक्षता बरतें। लोकसभा चुनाव में निर्विघ्न एवं निर्बाधित रूप से सम्पन्न कराने हेतु आयोग के सभी निर्देशों का समुचित पालन सुनिश्चित करें।
शासकीय कर्मचारियों से अपेक्षित आचरण
शासकीय कर्मचारियों को चुनाव में बिल्कुल निष्पक्ष रहना चाहिये। यह आवश्यक है कि वे किसी को यह महसूस न होने दें कि वे निष्पक्ष नहीं हैं। जनता को उनकी निष्पक्षता का विश्वास होना चाहिये तथा उन्हें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिये, जिससे ऐसी शंका भी हो सके कि वे किसी दल या उम्मीदवार की मदद कर रहे हैं। शासकीय कर्मचारियों को किसी भी प्रकार चुनाव अभियान या प्रचार में भाग नहीं लेना चाहिये तथा उन्हें यह देखना चाहिये कि सरकार में उनकी हैसियत या उन्हें प्रदत्त अधिकारों का लाभ कोई दल या उम्मीदवार न ले सके। कोई भी शासकीय अधिकारी-कर्मचारी न तो किसी अभ्यर्थी के लिये कार्य करे और न ही उसे मत देने हेतु किसी प्रकार का प्रभाव डाले। इसके अतिरिक्त कोई शासकीय सेवक निर्वाचन में खड़े किसी अभ्यर्थी के लिये निर्वाचन अभिकर्ता, मतदान अभिकर्ता या गणना अभिकर्ता के रूप में कार्य नहीं कर सकता है।
समस्त शासकीय अमला आयोग में प्रतिनियुक्ति पर समझे जायें
लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम के अन्तर्गत निर्वाचनों के संचालन के लिये नियोजित समस्त अधिकारी-कर्मचारी तथा राज्य सरकार द्वारा पदाभिहित पुलिस अधिकारी निर्वाचन के परिणाम घोषित होने तक भारत निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्ति पर समझे जायेंगे। इस दौरान निर्वाचन आयोग के नियंत्रण, अधीक्षण और अनुशासन के अधीन रहेंगे। निर्वाचन अवधि के दौरान निर्वाचन ड्यूटी पर नियुक्त अधिकारी-कर्मचारियों और पुलिस के विरूद्ध भारत निर्वाचन आयोग अनुशासनात्मक कार्यवाही कर सकेगा। निर्वाचनों से सशक्त पदीय कर्तव्य को यथोचित तरीके से जिम्मेदारीपूर्वक करना विधि द्वारा अपेक्षित कर्तव्य है, जिसकी अवहेलना शासकीय सेवक को दण्ड का पात्र बनाती है।
विश्राम गृहों में कमरों का आरक्षण
निर्वाचन की घोषणा के उपरान्त निर्वाचन के परिणाम घोषित किये जाने तक की अवधि के लिये विश्राम गृहों/विश्राम भवनों में कम से कम एक कक्ष निर्वाचन कार्य से सम्बन्धित अधिकारियों के लिये आरक्षित रखा जाये। इस आरक्षित कक्ष के आवंटन में निर्वाचन आयोग के प्रेक्षक, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एवं उनके कार्यालय के अधिकारी तथा निर्वाचन कार्य से सम्बन्धित अन्य अधिकारी के लिये प्राथमिकता निर्धारित की गई है।
शिकायतों का निराकरण
मौखिक या लिखित रूप से प्रस्तुत निर्वाचन सम्बन्धी शिकायतें जल्दी से जल्दी निराकृत की जाना चाहिये। अभ्यर्थी द्वारा की गई किसी भी प्रकार की शिकायत की जांच चौबीस घंटे में पूरी की जाकर उस पर आवश्यक कार्यवाही की जाये। अधिकारी जिसे शिकायत प्रस्तुत की गई है, यदि स्वयं सुधारात्मक कार्यवाही हेतु सक्षम है, तो तत्काल ऐसी कार्यवाही करेंगे, अन्यथा सक्षम स्तर पर इसे प्रस्तुत करेंगे।
मुद्रण को सर्वोच्च प्राथमिकता दें
निर्वाचन के दौरान चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थियों की सूची प्रकाशित होने के तत्काल पश्चात मतपत्रों का मुद्रण कार्य शासकीय मुद्रणालयों से कराया जाता है। लोकसभा निर्वाचन में लोकसभी क्षेत्र में चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से कराये जाते हैं, फिर भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के तथा निविदत्त तथा डाक मतपत्रों की आवश्यकता होती है। यह कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता का रहता है। इस अवधि में शासकीय मुद्रणालयों को कोई सामग्री राजपत्र में मुद्रण के लिये न भेजी जाये, जब तक कि वह सर्वथा अनिवार्य हो।
निर्वाचन कार्यों की वीडियोग्राफी होगी
निर्वाचन की संकटपूर्ण घटनाओं को रिकार्ड के लिये वीडियोग्राफी के अन्तर्गत स्वतंत्र, सतर्क एवं सपरियोजन रीति से वीडियोग्राफी द्वारा रिकार्ड करने हेतु निम्नानुसार कार्यवाही की जायेगी- मंत्रियों, मान्यता प्राप्त दलों के उच्चस्तरीय राष्ट्रीय एवं राज्यीय नेताओं द्वारा सम्बन्धित बैठकों, दंगे, या दंगों की स्थिति या उपद्रव, पथराव और मारधाड़, हिंसक घटनाएं, सम्पत्ति की हानि, लूट, आगजनी और हथियारों का प्रयोग, बूथ हथियाना, मतदाताओं को डराना-धमकाना, मतदाताओं को साड़ी, धोती, कंबल आदि बांटकर खुले रूप से उन्हें घूस देना, मतदान केन्द्र के 100 मीटर के घेरे में प्रचार करते समय विशाल कटाऊट द्वारा व्यय का भोंडा प्रदर्शन।
लाऊड स्पीकर के उपयोग पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही
निर्वाचन की घोषणा के दिनांक से चुनाव परिणाम की घोषणा तक प्रात: 6 बजे से रात 10 बजे तक ही ग्रामीण क्षेत्रों, नगर निगम, नगर पालिका सीमा में चुनाव सभाओं में लगने वाले लाऊड स्पीकर और चुनाव प्रचार के वाहनों पर लाऊड स्पीकर के उपयोग की अनुमति दी जा सकती है।
महिलाओं के लिये विशेष व्यवस्था
लोकसभा निर्वाचन की प्रक्रिया में रचनात्मक एवं सहभागिता हेतु तथा जेण्डर एक्वेलिटी की दृष्टि से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 1 मतदान ऐसा स्थापित करने के निर्देश निर्वाचन आयोग ने दिये हैं कि ऐसा स्थापित किया जाये, जिसे महिलाकर्मियों द्वारा संचालित किया जाये।
वोटर फेसिलिटेशन पोस्टर लगाने के निर्देश
निर्वाचन आयोग ने निर्देश दिये हैं कि निर्वाचन संचालन नियम-1961 के नियम-31 के अन्तर्गत प्रत्येक मतदान केन्द्र पर मतदाता जागरूकता एवं आवश्यक सूचना होने के लिये प्रत्येक मतदान केन्द्रों पर वोटर फेसिलिटेशन पोस्टर लगाया जाये। प्रत्येक मतदान केन्द्र पर 4 वोटर फेसिलिटेशन पोस्टर लगाये जायें, जिसमें मतदान केन्द्र की जानकारी, निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों की सूची, निर्वाचन कार्य से सम्बन्धित व्यक्तियों के सम्पर्क विवरण, मतदाता की पहचान के लिये आवश्यक वैकल्पिक दस्तावेजों का विवरण, मतदान प्रक्रिया, मतदान केन्द्र में निषिद्ध की गई वस्तुएं तथा आवश्यक ‘डूस एण्ड डोंट्स’ को शामिल किया जाये।