आचार्य जिनमणिप्रभ सूरीश्वर मसा अवंति तीर्थोध्दारक की उपाधि से विभूषित
जन्मोत्सव पर हुए सामूहिक आयंबिल व उपवास- मानव सेवा के रूप में फिजियोथेरेपी की मशीनें भेंट
उज्जैन। गुरूदेव खतरगच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभ सूरीश्वरजी म.सा. का 59वां जन्मोत्सव मानव सेवा आयंबिल उपवास आदि तपश्चर्या एवं गुणानुवाद कर मनाया गया। इस मौके पर अवंति तीर्थ को भारत के पटल पर प्रस्फुटित करने के लिए आचार्य जिनमणिप्रभ सूरीश्वरजी मसा को श्री अवंति पाश्र्वनाथ तीर्थ जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक मारवाड़ी समाज ट्रस्ट ने अवंति तीर्थोध्दारक की उपाधि से विभूषित किया।
जिनेश्वर युवा परिषद के तरूण डागा एवं रितेश जैन के अनुसार छोटा सर्राफा स्थित श्री शांतिनाथ मांगलिक भवन में प्रातः 10 बजे हुई गुणानुवाद में सर्वप्रथम बिंदु डागा द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुति एवं स्वागत गीत की प्रस्तुति दी गई साथ ही मंगलाचरण कर विश्वशांति की कामना की गई। मारवाडी समाज द्वारा जन्म दिन के उपलक्ष्य में सामूहिक आयंबिल व उपवास का आयोजन किया गया जिसमें 70 से अधिक श्रावक श्राविकाओं ने हिस्सा लिया। ट्रस्ट एवं जिनेश्वर युवा परिषद द्वारा मानव सेवा के रूप में जीवन दीप सोसायटी को फिजियोथेरेपी की मशीनें भेंट की गई। ’किसी को चिंता है आज की,’’किसी को चिंता है ताज की’। ’हमारे गुरुदेव मणिप्रभ सूरिजी को’,’चिंता है पूरे संघ समाज की’। उक्त पंक्तियों के साथ जन्मोत्सव की रूपरेखा बताते हुए मुनि मनीषप्रभसागर एवं मुनि मेहुलप्रभ सागर ने धर्मसभा में उपस्थित गुरूभक्तों को गुरू महिमा बताई। उन्होंने कहा कि गुरूतत्व का जीवन में होना आवश्यक है। बिना गुरू के इतिहास का प्रत्येक पात्र अधूरा है। गुरू ही हमें सच्चा मार्ग दिखाते हैं। मुनि मयूखप्रभसागर ने गुरूकृपा का फल बताते हुए धर्मसभा को बताया कि गुरूकृपा अमोघ शस्त्र है। कितने ही विघ्न बाधा हो गुरूकृपा मिल जाए तो बिगड़ने वाले कार्य भी संवर जाते हैं। संचालन करते हुए डाॅ. साध्वी विद्युतप्रभाश्रीजी ने फरमाया कि पूज्य गुरूदेव की समता समाधि अनिर्वचनीय है। अनेक घटनाओं को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने बचपन से आज तक की जीवन यात्रा का मार्मिक चिंतन प्रस्तुत किया। धर्मसभा को संबोधित करते हुए जिनमणिप्रभ सूरीश्वर महाराज ने कहा कि मेरे जीवन में सर्वप्रथम उपकार माता-पिता का है जिन्होंने मुझे जीवन दिया, उनके लिए कृतज्ञ हूं। दूसरा उपकार मेरे गुरूदेव आचार्यश्री जिनकांतिसागर सूरीश्वर म.सा. का है जिन्होंने असीम स्नेह व पितृवत वात्सल्य के साथ मेरे जीवन को सही दिशा दी। आज मेरे जीवन में जो कुछ भी प्रशंसनीय है वह सब उन्हीं की कृपा का परिणाम है। सभी श्रावक-श्राविकाओं को जन्मोत्सव पर आशीर्वाद देते हुए फरमाया कि आप सबने जो अपनी अभिव्यक्तियां दी है उन सभी अभिव्यक्ति को मैने सहज भाव से श्रवण किया है। आप सभी की भावनाओं पर खरा उतरने का पूरा पुरूषार्थ करूंगा। अनेक साध्वीजी भगवंतों ने भी अपना उद्बोधन दिया। ट्रस्ट के सचिव चंद्रशेखर डागा ने बताया कि इस जन्मोत्सव में उज्जैन के अलावा अहमदाबाद, मुंबई, बाड़मेर, देपालपुर, इंदौर, रिंगणोद, नीमच, निम्बाहेड़ा आदि अनेक स्थानों से गुरूभक्त शामिल हुए।
राष्ट्रीय स्तर पर मना अनुकंपा दिवस
अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद् द्वारा गुरूदेव गच्छाधिपति आचार्य भगवन्त श्री जिनमणिप्रभ सुरिश्वरजी महाराज के 60वें अवतरण दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर अनुकंपा दिवस के रूप मे मनाया। इस दिन को सभी ने गुरूदेव के ही बताये गये मार्ग पर चलकर अनेक मानव सेवा एवं जीवदया के कार्य किए।
रूग्ण, असहाय, अनाथ की सेवा परमात्मा की सेवा
आचार्य जिनमणिप्रभ महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा कि परमात्मा महावीर कहते हैं कि जो रुग्ण, असहाय, अनाथ की सेवा करते हैं वो मेरी सेवा करते है। जरूरतमंद की सेवा से बढ़ कर सारे जगत में पुण्य का दूसरा कोई कार्य नही होता है, इसे शिरोधार्य कर सभी ने अपने-अपने क्षेत्रीय स्तर पर जन सेवा कर के पूज्य गुरूदेव के अवतरण दिवस को वृहत स्तर पर मनाकर श्रद्धा को अभिव्यक्ति दी। समर्पण के फूल गुरु चरणों में समर्पित किये। कहीं स्नात्र पूजा एवं सामायिक के द्वारा प्रभु भक्ति का आयोजन रखा, कहीं गोशाला मे गायों को गुड़ व चारा दिया गया तो कहीं बुढ़ापे मे निःसहाय लोगों को जरुरत की सामग्री दवाई, कपड़े जैसी जरुरत की चीजे बाटी गई तो कहीं गरीबो व स्कूली बच्चो को किताबे एवं जरूरी राशन सामग्री प्रदान की गई। कहीं अनाथ आश्रमों में अनाज एवं जीवनोपयोगी एवं खाद्य सामग्री भेंट की गई। पूरे देश में सेवा के कार्य करने के लिए एक दुसरे से होड लग गई। कार्यक्रम पश्चात सभी ने गुरुदेव को 60वें जन्मदिवस की बधाई सह शुभकामनाये प्रेषित कर परमात्मा से गुरुदेव के लिए चिरायु, उत्तम स्वास्थ्य, आरोग्य मय जीवन के लिए प्रार्थना की। इस मौके पर गुरूदेव ने अपने जीवन की उपलब्धियों का पूरा श्रेय अपनी माताजी, मुनि मंडल, साध्वी मंडल व श्रीसंघों को दिया। आपने कहा कि मैं तो निमित्त मात्र हूं जिसे इस प्रकृति ने आप सभी के सहयोग और समर्पण ने यहां तक पहुंचाया।
83 युवा परिषद शाखाओं ने मनाया अनुकंपा दिवस
संपूर्ण भारत भर से 83 युवा परिषद् शाखाओं ने बुधवार को अपने अपने क्षेत्र मे समाजसेवा जीव दया का कार्य कर के अनुकंपा दिवस के रूप मनाया एवं इसी दिन गुरूदेव के मुखारबिन्द से उज्जैन खरतरगच्छ युवा परिषद् के गठन की घोषणा भी की गई। इस अवसर पर उज्जैन में भी युवा परिषद् के अनेक केन्द्रीय पदाधिकारी गण गुरूदेव का आशीर्वाद लेने पहुँचे।