सांसारिक, पारिवारिक, धार्मिक, व्यवहारिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है श्रीसिध्दचक्र विधान -श्री दुर्लभ मति माताजी
उज्जैन। इंसान को अपने कर्मों का फल भोगना होता है। कर्म अच्छे करोगे तो अच्छा पुण्य अर्जित करोगे जो कई जन्मों तक तुम्हें अच्छा लाभ देगा। प्रत्येक मनुष्य को अपनी क्षमता अनुसार दान धर्म करना चाहिए। श्रीसिध्दचक्र विधान आध्यात्मिकता से श्रीपाल-मैना सुंदरी के चारित्र्य पर आधारित है, कुल 1024 अर्घ्यों में विस्तारपूर्वक विभिन्न धार्मिक घटनायें, श्री सिध्दभगवान की आराधना, भक्ति से, सुख ओर दुखों, विपत्तियों की घडी में, श्रीपाल राजा विवाह के पहले से कोढी होने पर भी मैना सुंदरी ने उसको जीवन साथी क्यों कैसे चुनाव, पसंदगी दिखाकर जैन धर्म के व्रतों का संयमित, तप ओर त्याग की भावनाओं को संवारकर ऐतिहासिक धर्म गाथा बनकर कर साधर्मि के सामने विधान के रुप में आयी हैं।
उक्त बात श्री महावीर दिगंबर जैन मंदीर लक्ष्मीनगर में श्री 105 आर्यिका दुर्लभमति माताजी ने कही। माताजी के ससंघ सानिध्य में श्रीसिध्दचक्रविधान अष्टांन्हिका पर्व मनाया जा रहा है। माताजी अपने प्रवचन के माध्यम से समाज जनों को सांसारिक, पारिवारिक, धार्मिक, व्यवहारिक एवं आध्यात्मिक दृष्टिकोण को बड़ी सुगमता से एवं सरलता से समझा रही हैं। समाज के सचिव सचिन कासलीवाल ने बताया कि इस विधान की आध्यात्मिकता को माताजी ससंघ सकल जैन समाज के सामने अपने प्रवचनों के माध्यम से पल पल काव्यों पर विशेष महत्ता की ओर कहानी के हर मोड पर अर्थसहित भाषा का सहज, सामान्य लौकिक, स्पष्ट भाषा को अपने मुखाग्र बिंद से प्रकट कर रही हैं जो अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। आध्यात्मिकता, मंत्रोचार की महिमा, सांसारिकता को सहेजकर, कटाक्ष कर, तुलनात्मक विवेचन कर समझाने से जैन समाज को नई दिशाओं की ओर जीवन में कुछ नयापन करने की ओर ज्ञानगंगा बहा रही हैं। माताजी ने बताया कि विधान मंडल के दौरान श्रीपाल चारित्र्य के विभिन्न घटनाओं के आधार पर वर्तमान युग के दृष्टीकोन से जोडकर, जैन धर्म को सिध्दांतों को जीवन में उतारने की संभावनायें की अनुकूलता, सकारात्मक उर्जा को प्रवाहित करने की सीख देता है। श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर लक्ष्मी नगर में शिखर आवरण का सोने से करने के लिए स्वर्ण दान कर रहे है। उज्जैन के कई प्रतिष्ठीत श्रावक श्रेष्टियों ने, महिला संघटनों ने, ग्रुप के पदाधिकारियों ने संघटनों सोने को अर्पित किये हैं। सकल जैन समाज के सभी संगठन सोना दान कर रहे हैं जिससे मंदिर के शिखर का काम शीघ्र अति शीघ्र हो जाए। विधान के लिये विभिन्न जिनालयों की ट्रस्ट कमेटीयों ने द्रव्य दान भेजकर पूण्यार्जन अर्जित कर रहे हैं सभी संस्था अपना द्रव्य बड़े धूमधाम से नाचते गाते हुए बैंड बाजों के साथ समर्पित करते हैं। सोमवार को विशेष बात यह रही की भोपाल के एक जैन दंपति माता जी का आशीर्वाद लेने आए। वह परिवार बहुत गरीब होने कारण, माताजी के निवेदन पर उनकी बेटी के विवाह के लिये जैन समाज ने 50 हजार से ज्याद जमाकर राशि सौंप दी। स्नेहलता सोगानी, वात्स्यल्य प्रदाता एवं अशोक जैन गुना वाले, विमलचंद बाकलीवाल, सुनील जैन खुरई, गौरव लोहारिया, संजय लोहारिया, विनय गर्ग, सूरजमल जैन, इंद्रकुमार बड़जात्या, चेतन सोगानी, शैलेंद्र जैन, अशोक जैन, मंगला मनोज पहाड़िया, जीवनधर जैन, महावीर ज्ञानपीठ महिला मंडल, अनेकांत युवा मंडल आदि ने विशेष रूप से सहयोग प्रदान किया।