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इस होली स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण का लें संकल्प



केमिकल रंगों की बजाय फूल-गुलाल से खेले होली-पेड़, पौधे काटने की बजाय कंडों की जलाएं होली
उज्जैन। होली एवं रंगपंचमी हुड़दंग किये बिना सादगी के साथ मनाई जाए साथ ही अवंतिका नगरी की पुरानी परंपराओं के अनुरूप फूल एवं गुलाल से होली खेलकर आमजन अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होने से रोकें, क्योंकि केमिकल युक्त रंग उन्हें कैंसर जैसी भयावह बीमारी दे सकते हैं। वहीं होलिका दहन में भी कंडो की होली जलाकर पर्यावरण की रक्षा संकल्प शहर का प्रत्येक नागरिक ले। 
उक्त अनुरोध भाजपा संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ नगर संयोजक अनिल धर्मे एवं सह संयोजक मंगेश श्रीवास्तव ने शहरवासियों से किया है। मंगेश श्रीवास्तव ने बताया कि होली एवं रंगपंचमी महोत्सव में केमिकल युक्त रंगों से बचते हुए प्रकोष्ठ द्वारा पिछड़ी बस्तियों में जाकर गुलाल एवं फूलो से होली खेली जाएगी। बाजार में मिलने वाला खतरनाक केमिकल युक्त रंग नुकसान पहुंचा सकते हैं इससे कैंसर जैसी भयावह बीमारी होने का खतरा होता है। पहले पारंपरिक तरीके से होली खेलने के लिए फूलों से रंग निकाल कर त्योहार का आनंद उठाया जाता था जो त्वचा और स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होते थे। लेकिन अब केमिकल युक्त रंगों से डिस्कलरेशन, कांट्रैक्ट डर्मिटाइटिस, एब्रेशन, इरीटेशन, खुजली, रूखापन और चटकी हुई त्वचा जैसी समस्याएं रसायनिक रंगों से हो सकती हैं। त्वचा पर जलन की समस्या पैदा हो सकती है, निशान पड़ सकते हैं और खुजलाने पर एग्जीमा हो सकता है। होली के रंगों से बाल भी खतरे की जद में आ जाते हैं और वे भंगुर और बेहद सुखे हो जाते हैं। स्किन कैंसर, गाल ब्लैडर कैंसर आदि होली के ठीक बाद पीड़ा देते हैं। नाखून, मुंह या नथूनों के रास्ते शरीर में रंग पहुंच जाता है जिसके कारण शरीर कैंसर जैसी भयावह बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। मंगेश श्रीवास्तव ने कहा हिंदू धर्म के की परंपराओं के अनुरूप पानी, केमिकल युक्त रंगों की बजाय होली फूल एवं गुलाल से खेलकर स्वयं को भी सुरक्षित रखें साथ ही होलिका दहन में पेड़, पौधे काटने की बजाय कंडों की होली जलाकर पर्यावरण की रक्षा का बीड़ा भी उठाएं। 

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