श्री महावीर दि जैन मंदिर लक्ष्मीनगर में मना संस्कार महोत्सव
सुबह सूर्य की किरणें खुलती हैं घर के सुख और मस्तिष्क के द्वार- ब्रह्मचारी अरुण जैन भैया
उज्जैन। माता पिता ही होते हैं बच्चों का प्रथम गुरु। बेटे-बेटी बनकर माता पिता को देना चाहिए, जीवन का हर सुख अपने बच्चों को कभी भी लड़के लड़की नहीं बोलना चाहिए। क्योंकि उसका अर्थ भी गलत है लड़$के, लड़$की और बच्चों को लड़के लड़की बनना भी नहीं चाहिए, प्लास्टिक की वस्तुओं का अपने घर में पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए क्योंकि आज इससे ही सबसे अधिक बीमारियां उत्पन्न हुई है। रात्रि के समय भोजन का त्याग होना चाहिए, घर में सुख समृद्धि के लिए सफेद लाइट इसानकोण में लगाना चाहिए एवं पढ़ाई का स्थान और धर्म का स्थान होना चाहिए। सूर्यदेव इसीलिए कहा जाता है कि वह हमें देता है जो लोग सुबह जल्दी उठते हैं। उनके संपूर्ण कार्य नियमित चलते हैं सूर्य की किरणें हमारे घर और हमारे मस्तिष्क द्वार पर पढ़ती है तो निश्चित तौर पर सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य, शिक्षा, धन, संपदा, शक्ति सामंत आदि सभी में वृद्धि होती है। हर व्यक्ति को रात 10 बजे से सुबह 3 बजे तक ही सोना चाहिए और 3 बजे बाद से धर्म ध्यान, पूजा और विद्यार्थियों को पढ़ाई करना चाहिए। उसका प्रतिफल कई गुना अधिक मिलता है।
यह बात श्री महावीर दि जैन मंदिर लक्ष्मीनगर में श्रीसिध्दचक्रविधान मंडल का अनुष्ठान जो श्री 105 दुर्लभमति माताजी ससंघ के सानिध्य में चल रहा है उसमें आज प्रतिष्ठाचारी ब्रम्हचारी अरुण जैन कटंगीवाले के माध्यम से कार्यक्रम कहीं रविवार को दोपहर 2 बजे संस्कार महोत्सव (कैरियर कॉउंसलिंग) का आयोजन विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिये, जीवन में शिक्षा के दृष्टिकोण से सफलता के चरमोत्कर्ष पाने के लिये, शारिरीक रुप से स्वस्थता, सुखी व जीवन में समृध्दी के सरलतम उपाय-योग्य निराकरण आदि की कैरियर काउंसलिंग के सन्दर्भ में शिक्षाप्रद जानकारीयां दी। उल्लेखनीय है कि 13 मार्च से श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर लक्ष्मी नगर में दुर्लभ मति माताजी के सानिध्य में श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान किया जा रहा है जिसमें रविवार को सुबह 7 बजे श्री जी की शांति धारा अभिषेक के साथ साथ में नियम की पूजा एवं मंडल जी पर 256 अर्ध समर्पित कर महामंडल विधान की पूजा की। श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर लक्ष्मी नगर द्वारा भक्ति भाव पूर्वक सभी अर्ध विधान में समर्पित किए। तत्पश्चात माता जी के प्रवचन हुए जिसमें उन्होंने कहा कि पौराणिक कथाओं से हमें वर्तमान के जीवन में जीने का संदेश मिलता है और इन संदेश के माध्यम से हम इस संसार की संपूर्ण कार्यों को आसानी से कर सकते हैं जो लोग सदाचार मर्यादा और उद्यमी होते हैं वाह वाह व्यक्ति हर क्षेत्र में आगे बढ़ता है हमें व्यापार कर कर ही अपना जीवन पालन करना चाहिए चाहे वह छोटा हो शाम को महा आरती आचार्य श्री की हुई एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया संपूर्ण जानकारी समाज सचिव सचिन कासलीवाल ने दी। सौधर्म इंद्र शैलेंन्द्र शाह, कुबेर केवलचंद मुकेशकुमार पहाडिया, ईशान इंद्र कमल बडजात्या, सानत इंद्र- सुरेशचंद्र संतोष जैन, महामंडलेश्वर- प्रकाश टोंग्या, श्रीपाल सुन्दरी- के सी जैन पत्नि कांतादेवी, यज्ञनायक- संजय लुहाडिया, माहेंद्र इंद्र- विमलचंद बाकलीवाल, ब्रम्होत्तर- हिरालाल बिलाला, ब्रम्हेन्द्र- डा ऋषभ जैन बाहुबली- अनिल डोसी, भरतचक्रवर्ती- अशोक जैन गुनावाले, अशोक जैन मंगला आदि लगभग सैकड़ों इंद्र इंद्राणी सम्मिलित हुये है जो श्री सिध्द भगवान की अभिषेक,भक्ती आराधना करने हेतु समर्पित हैं।