महर्षि दयानंद राष्ट्र, धर्म व कर्म योद्धा थे - डॉ चोरसिया
आर्य समाज मन्दिर में देवयज्य के साथ मनाया महाशिवरात्रि व ऋषि बोध उत्सव पर्व
उज्जैन। स्वामी दयानन्द ने आज से 200 वर्ष पूर्व संसार के कल्याण हेतु मोक्ष मार्ग त्याग कर सत्य सनातन वैदिक धर्म को पुनः प्रतिष्ठित किया एवं स्वराज्य का उद्घोष कर चेतना के जागरण का सुत्रपात कर सन्यास धर्म को सार्थक किया। महर्षि दयानंद राष्ट्र योद्धा, धर्म योद्धा व कर्म योद्धा थे।
उक्त विचार ऋषि बोधोत्सव महाशिवरात्रि पर्व पर आर्य समाज मंदिर में प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. शिव चोरसिया ने व्यक्त किये। वैदिक विद्वान राजेन्द्र व्यास ने कहा कि बोध पर्व जागरण का पर्व है, हमें महर्षि के बताये पाखंड व अंधविश्वास से दूर सत्य सनातन वैदिक धर्म का अनुसरण करना चाहिए। योग विद्वान बाबुलाल पंडया ने कहा कि हमारे उपर ऋषियों का ऋण है बोध पर्व हमें वेद मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। आर्य प्रवक्ता सुखदेव व्यास, पूर्व प्रधान राजेन्द्र शर्मा ने भी उदबोधन दिया। कार्यक्रम के प्रारंभ में वेद मन्त्रों से यज्य मे आहुति दी गई। वैदिक भजन डॉ. आनन्द मोहन सक्सेना, ओमदत्त आर्य व प्रेम सिंह आर्य ने प्रस्तुत किये। इस अवसर पर वैदिक साहित्य श्रीफल व शाल से डॉ. शिव चौरसिया का अभिनन्दन किया गया। अतिथि परिचय डॉ ललित नागर ने दिया। संचालन मंत्री संजय सोनी ने किया एवं आभार प्रधान डॉ. मणीन्द्र व्यास ने व्यक्त किया। शान्ति पाठ व ऋषि लंगर के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर बड़ी संख्या मे महिला समाज की सदस्या व वैदिक श्रद्धालुजन उपस्थित थे।