नारायण के भजन से नर नारायण बन जाता है, 56 करोड़ का भात का मंचन हुआ मायरे में
उज्जैन। कष्ट में यदि भक्त सच्चे मन से पुकारें तो बड़ी से बड़ी विपत्ति भी चुटकी में दूर हो जाती है, नरसिं को जब अपनी बेटी के यहां मायरा भरने की सूची जो 56 करोड़ की थी, भरने की सूची मिली तो पूरे विश्वास के साथ नरसिं मेहता ने मायरा भरने का निश्चय किया। जेब में फूटी कोड़ी भी न होते हुए 56 करोड़ का मायरा भरने जब भक्त नरसिं ने श्रीकृष्ण को पुकारा तो भगवान राधा और रूक्मणी के साथ मायरा भरने नरसिं के साथ चल पड़े। नानीबाई के मायरे के समापन पर पं. अनिरूध्द मुरारी ने कहा कि लोभी और लालची के आगे भक्ति का पलड़ा भारी रहता है, नानीबाई के मायके वालों ने लोभ और लालच में आकर नरसिं का अपमान किया लेकिन भगवान ने नरसिं का साथ देकर बताया कि वह भक्त के साथ है। कथा के समापन पर ससुराल में नरसिं के आगमन और दोनों पिता पुत्री के बीच संवाद का भावपूर्ण वर्णन किया। प्रसंग सुन प्रेम भाव में डूबे उपस्थित भक्तों की आंखें नम हो गई और छलक पड़ी, जिसने अपना मन प्रभु को समर्पित कर दिया। फिर प्रभु स्वयं उस पर समर्पित हो जाते हैं। भक्त की एक आवाज पर दौड़कर आने वाले प्रभु श्रीकृष्ण की कृपा की यह कथा 400 साल पुरानी है। कथा स्थल पर श्री अग्रवाल पंचायत न्यास के अध्यक्ष भगवानदास एरन, रवि बंसल, गोविंद गोयल, दीपक मित्तल, शैलेन्द्र व्यास आदि ने नानीबाई का मायरा भरा। संचालन अनिता गोयल ने किया। कार्यक्रम में आज नरसिं मेहता के साथ भगवान श्रीकृष्ण, राधा, रूक्मणी और पूरी बारात का दृश्य मंच पर मंचित किया। कलाकारों में हेमलता गुप्ता, बृजेश गुप्ता, तृप्ति मित्तल, दर्शना मित्तल, लीना, प्रमिला गोयल, सरोज अग्रवाल, श्यामली गर्ग, पुष्पा गर्ग आदि ने सहयोग किया।