मंच से बोतल लहराने वाली सरकार पहले ही स्नान में विफल- डॉ. अवधेशपुरी महाराज
क्षिप्रा को बनाया था प्रमुख चुनावी मुद्दा
उज्जैन। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी सभा में दशहरा मैदान में बने मंच से क्षिप्रा का जल बताते हुए बोतल लहराते हुए कहा था कि देखो ये है 392 करोड़ का पानी। क्षिप्रा जल को गंदे नाले का पानी कहने वाली तथा क्षिप्रा की पवित्रता एवं प्रवाहमान न होने को लेकर भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाली सरकार उज्जैन में शनिश्चरी अमावस्या पर पूर्णतः विफल नजर आई।
उक्त बात कहते हुए परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि जनवरी के महीने में क्षिप्रा का रेगिस्तान बनना तथा श्रध्दालुओं द्वारा कीचड़ से पानी निकालकर स्नान करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। नर्मदा में पानी न होने का प्रशासन का तर्क भी हास्यास्पद है तथा श्रध्दालुओं की श्रध्दा को गंभीरता से न लेने का परिचायक है। शासन एवं प्रशासन दोनों को श्रध्दालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ करने का कोई अधिकार नहीं है। क्षिप्रा के उत्थान के लिए समय-समय पर आवाज बुलंद करने वाले संत डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि प्रशासन को चाहिये कि वह त्रिवेणी से मंगलनाथ तक क्षिप्रा के अंदर स्थान-स्थान पर बोरिंग कराकर क्षिप्रा को रिचार्ज करें। कोई भी सरकार जनता के ही वोट एवं जनता के ही नोट से जनता की आस्था पर चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं रखती।