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आदिशंकराचार्य की प्रतिमा हेतु धातु संग्रहण एवं जन-जागरण अभियान की एकात्म यात्रा का शिप्रा आरती एवं वैदिक वाणी का वाचन से आगाज हुआ



उज्जैन । सम्पूर्ण मध्य प्रदेश में जन-जागरण और आदिशंकराचार्य की प्रतिमा हेतु धातु संग्रहण एवं जन-जागरण अभियान के लिये एकात्म यात्रा निकाली जायेगी। प्रदेश के चार स्थानों यथा- ओंकारेश्वर, उज्जैन, पचमठा (रीवा) एवं अमरकंटक से प्रारम्भ होकर ओंकारेश्वर में पूर्णता प्राप्त करेगी। उज्जैन से यात्रा 19 दिसम्बर से निकलकर उज्जैन जिले के विभिन्न तहसील मुख्यालयों एवं ग्रामों से निकलकर संवाद स्थापित किया जायेगा। एकात्म यात्रा का शिप्रा नदी रामघाट पर आदिशंकराचार्य की प्रतिमा हेतु धातु संग्रहण एवं जन-जागरण अभियान की एकात्म यात्रा का शिप्रा की आरती एवं लगभग 400 बटुकों के द्वारा वैदिक वाणी के वाचनों के साथ आगाज हुआ। इस अवसर पर महामण्डलेश्वर श्री अतुलेश्वरानन्द महाराज, ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन, महापौर श्रीमती मीना जोनवाल, मप्र जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पाण्डेय, यूडीए अध्यक्ष श्री जगदीश अग्रवाल, श्री श्याम बंसल, नगर निगम अध्यक्ष श्री सोनू गेहलोत एवं अपर कलेक्टर श्री वसन्त कुर्रे, नगर निगम आयुक्त डॉ.विजय कुमार जे., सहायक प्रशासक सुश्री प्रीति चौहान, सहायक प्रशासनिक अधिकारी श्री एसपी दीक्षित आदि उपस्थित थे।

इस अवसर पर महामण्डलेश्वर श्री अतुलेश्वरानन्द महाराज ने आदिशंकराचार्य के बाल्यकाल के सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी दी और एकात्म यात्रा निकालने पर मध्य प्रदेश शासन को बधाई दी। यह यात्रा सनातन धर्म को ही नहीं जोड़ेगी, परन्तु समाज को भी जोड़ने का काम करेगी। आदिशंकराचार्य की प्रतिमा के लिये धातु संग्रहण एवं जन-जागरण के लिये एकात्म यात्रा निकालकर घर-घर से धातु का संग्रहण कर ओंकारेश्वर में आदिशंकराचार्य की प्रतिमा की स्थापना की जायेगी, यह प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि धरातल पर रहने वाले जीवों में सर्वश्रेष्ठ जीव है तो वह है मनुष्य। बड़े भाग्य से मनुष्य का जन्म मिलता है। और हम सब सनातन धर्म को मानने वाले हैं। ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन एवं अन्य अतिथियों ने मां शिप्रा की आरती कर पूजन-अर्चन किया। इसके बाद अतिथियों ने आदिशंकराचार्य के चित्र पर माल्यार्पण कर चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। महामण्डलेश्वर श्री अतुलेश्वरानन्द महाराज ने 400 बटुकों को वैदिक पाठ करने की घोषणा की और बटुकों ने लगभग आधे घंटे वैदिक पाठ का धाराप्रवाह वाचन किया।

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