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ठा.शिवप्रताप चंदेल स्मृति समारोह में विद्वान अतिथि एन.रघुरमन ने कहा 25 वर्षों तक प्रिंट मीडिया सुरक्षित



सत्ता के विपक्ष में और सत्य के पक्ष में लिखने का काम है पत्रकार का - अरूण आदित्य- वरिष्ठ पत्रकार
उज्जैन में पर्यटन ही उद्योग का साधन - संकेत भोंडवे- जिलाधीश
पुलिस का दक्ष होना ही पर्याप्त नहीं - सचिन अतुलकर - पुलिस अधीक्षक
उज्जैन। ठा.शिवप्रतापसिंह चंदेल की स्मृति में 23 वें विचार यज्ञ में प्रात: 11 बजे विक्रम कीर्ति मंदिर के मंच से मैनेजमेंट गुरू और अतिथि वक्ता एन.रघुरमन ने प्रिंट मीडिया के भविष्य के बारे में कहा कि आने वाले 25 वर्षों तक पिं्रट मीडिया के भविष्य के बारे में कहा कि आने वाले 25 वर्षों तक प्रिंट मीडिया को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने वर्तमान समय को प्रिंट के विश्वास बढ़ाने का समय बताया। यह बात उन्होंने सोशल मीडिया द्वारा दिखाई जा रही फेक न्यूज को देखते हुए कहीं।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम ठा.शिवप्रतापसिंह चंदेल के चित्र पर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित किया गया। तत्पश्चात आयोजन समिति के अध्यक्ष और दैनिक अग्रिपथ के प्रकाशक अनिलसिंह चंदेल, दैनिक अग्रिपथ के संपादक अर्जुनसिंह चंदेल, दैनिक अग्रिपथ के संपादक मंडल के अरविंदसिंह चंदेल, प्रद्योतसिंह चंदेल, उदयभानसिंह चंदेल, चंद्रभानसिंह चंदेल, अभिमन्यु चंदेल एवं स्तम्भकार कांतिलाल नागर ने मंच पर उपस्थित अतिथि वक्ता मैनेजमेंट गुरू एन. रघुरमन एवं प्रसिद्ध कवि वरिष्ठ पत्रकार अरूण आदित्य का स्वागत किया। आयोजन समिति के अध्यक्ष अनिलसिंह चंदेल ने सर्वप्रथम अपने संबोधन में ठा.शिवप्रतापसिंह जी ठाकुर को याद करते हुए कहा कि सुबह उठते ही पिताजी का जीवन सामने आ गया। अभाव एवं संघर्ष के बीच पिताजी ने कभी भी अपने जीवन में कलम से समझौता नहीं किया। सादा जीवन, खादी का कुर्ता-पायजामा और साईकल से चलना उनकी सादगी थी लेकिन व्यक्तित्व और विचार उच्च थे। पत्रकारिता करते हुए उन्होंने कोलकाता, दिल्ली, नागपुर और इंदौर तक के पेपरों में 35 वर्षों तक कार्य किया। स्वतंत्र कलम के धनी, बेखौफ और निडर पत्रकार होने के कारण कभी भी पेर मालिक से पटरी नहीं बैठी। लेखनी से कभी समझौता नहीं किया। आखिर में भगवान शिव ने ठा.शिवप्रतापसिंह जी के पैरों में बेडिय़ां डाल दी और उज्जैन में ही नाम और काम के अनुरूप दैनिक अग्रिपथ नाम से पेपर प्रकाशित किया। कलम से कभी समझौता नहीं करने का उनका वचन आज भी प्रेरणा देता है। वर्तमान के आर्थिक युग में जहां मीडिया अपनी नैतिकता खोता जा रहा है, ऐसे में दैनिक अग्रिपथ आज भी अपनी विश्वसनीयता कायम रखे हुए हैं और आसपास के ग्रामीण इलाकों सहित इंदौर और भोपाल से भी प्रकाशित हो रहा है।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में एन.रघुरमन ने अपने संबोधन की शुरूआत भगवान शिव एवं ठा.शिवप्रतापसिंह चंदेल को नमन करने के साथ ही उपस्थित जनों को भी नमन किया। उन्होंने जिलाधीश संकेत भोंडवे द्वारा उज्जैन को आर्थिक आधार पर बढ़ाने के प्रयासों की सराहना करते हुए बताया कि तिरूपति बालाजी मंदिर में एक्टीविटी बढ़ाने के लिए उन्होंने बाकी संघर्ष और मेहनत की और वहां प्रति व्यक्ति पहले 137 रुपये खर्च करता था, उसे बढ़ाकर 190 रुपये तक कर दिया। रघुरमन ने बताया कि वे पंजाब में ऑपरेशन ब्लू स्टार में ऐसे स्थान पर न्यूज कवर करने पहुंचे थे, जहां सामने से गोलियां चल रही थी। पाकिस्तान में भी न्यूज कवर करने के लिए रहा।
राग-चमन को पत्रकारिता से जोड़ा
रघुरमन ने पत्रकारिता एवं राग-चमन को आपस में जोडऩे के लिए प्रोजेक्टर के माध्यम से सात फिल्मी गानों को दिखाया। इन गानों की विशेषता यह थी कि सातों गानों का म्यूजिक एक समान था और सातों गाने अपने समय के फेमस गाने रहे। सातों में यमन राग का इस्तेमाल किया गया। देश-विदेश के सभी गानों में ज्यादातर राग यमन का उपयोग होता है। इसी तरह पत्रकार को भी एक समान रहकर 360 डिग्री तक सोचना चाहिए। जिस तरह घटना एक होती है लेकिन उसको कवर करने वाले पत्रकार ज्यादा होते हैं। उन्होंने कहा कि राग यमन की तरह पत्रकार यदि इसमें यमन कल्याण जोड़ दे तो सभी का कल्याण होगा।
प्रिंट मीडिया का भविष्य उज्जवल
प्रिंट मीडिया के भविष्य के बारे में रघुरमन ने कहा कि आने वाले 25 वर्षों तक प्रिंट मीडिया को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया फेक न्यूज दे रहा है जिसे बड़े चाव से देखा भी जा रहा है। ऐसे समय में प्रिंट मीडिया अपनी विश्वसनीयता बढ़ाये क्योंकि अधिकांश युवा वाट्सअप देखने में अपना समय जाया कर रहे हैं। रघुरमन ने अपने उद््बोधन में बताया कि प्रिंट मीडिया में विदेशों में छप रहे पेपर में एक पेपर की कीमत 27 रुपये पड़ रही है और पाकिस्तान का प्रसिद्ध डॉन पेपर 24 रुपये में छप रहा है, इसलिए पेपर पाठकों की भाषा समझकर खबरें प्रकाशित करें।
डॉ.कलाम का किस्सा सुनाया
प्रोजेक्टर के माध्यम से पूर्व राष्ट्रपति डॉ.अब्दुल कलाम आजाद का किस्सा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि डॉ.कलाम को इडली खाने का शौक था लेकिन दिल्ली में मिलने वाली इडली बहुत शक्त थी। इस पर रघुरमन ने कुछ सेफ से नर्म इडली बनाने के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि मिक्सर के बजाय बड़े ग्राइण्डर में इडली का आटा पिसा जाये, यह ग्राइंडर साऊथ में मिलता है। डॉ.कलाम ने स्वयं के खर्च से स्वयं जाकर ग्राइंडर खरीदा और चेक के माध्यम से पेमेंट किया। गाइंडर मालिक ने चेक बैंक में लगाने के बजाय इसे जड़वा कर दिवाल पर टांग दिया। जब डॉ.कलाम की बैंक से पैसे कम नहीं हुए तब इन्वारी हुई और दिवार पर टंगे चेक को निकालकर बैंक में जमा कराया गया, तब जाकर डॉ.कलाम ने उस ग्राइंडर का उपयोग किया। इस तरह रघुरमन ने राम-रावण और रामायण-महाभारत के बारे में प्रोजेक्टर पर समझाते हुए पत्रकारों को अपनी भूमिका निर्वहन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पत्रकार को किसी पेपर मालिक की तरह काम करना चाहिए। इंटल और सेमशन कम्पनी को भविष्य की सबसे अधिक दवा बेचने वाली कम्पनी बताते हुए उन्होंने समझाया कि इलेक्ट्रानिक उपकरणों से कम्पनी व्यक्ति की बीमारी और इलाज के बारे में जानकारी देंगे, जिसके एवज में कम्पनी को 6 प्रतिशत मुनाफा होगा। इस तरह ये कम्पनियां दवा बेचने वाली सबसे बड़ी कम्पनी बन जायेगी। उन्होंने कहा कि इंटरनेट जल्द ही जायेगा और नई चीजें सामने आयेगी।
समकालीन पत्रकारिता को चुनौती
दैनिक अमर उजाला के संपादक और प्रसिद्ध कवि अरूण आदित्य ने भगवान शिव की नगरी के बारे में अनुभव बताते हुए कहा कि डॉ.शिवमंगलसिंह सुमन का इंटरव्यू करने उज्जैन आया था। ऑटो वाले को पता बताने की जरूरत नहीं पड़ी और चाय-पोहे वाले ने पैसे नहीं लिए, ऐसी साहित्य प्रेमी है उज्जैन नगरी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पत्रकारिता के माने यह रह गये हैं कि आप प्रधानमंत्री के कितने नजदीक है और किस मंत्री के साथ आपका फोटो है। अब पत्रकारिता में क्या थे, क्या है और क्या होंगे की बहस चलने लगी है। उन्होंने बताया कि दो तरह की पत्रकारिता हो गई है एक सकारात्मक और एक नकारात्मक। पेपर की कास्ट बताते हुए आदित्य ने बताया कि 15 रुपये की एक प्रति प्रकाशक को छापने पर पड़ती है, ऐसे में कैसे सिद्धांतों पर चला जा सकता है। वाट््सअप पर फेक न्यूजें चल रही है, जिन पर शीघ्र विश्वास किया जा रहा है। न्यूज चैनलों को वायरल सच दिखाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि खबरों का सेंस गायब होता जा रहा है। पहले अपनी रूचि के अनुसार पत्रकार बनते थे, अब पत्रकारिता के कोर्स चलाये जा रहे हैं। आदित्य ने कहा कि पत्रकारिता को चौथा स्तम्भ कहा जाता है, जो आइना दिखाने का काम करता है। यदि आइना ही साफ नहीं होगा तो सच्ची तस्वीर कहां दिखेगी। अंत में उन्होंने कहा कि सत्ता का विपक्ष और सत्य का विपक्ष रखने को ही पत्रकारिता कहा जा सकता है।
औद्योगिक विकास में प्रशासन की भूमिका
जिलाधीश संकेत भोंडवे ने मंच से संबोधित करते हुए सबसे पहले यह बताया कि दैनिक अग्रिपथ से ही आसपास के क्षेत्रों की खबरे मिलती है। उन्होंने कहा कि ठा.शिवप्रतापसिंह ठाकुर का जीवन संघर्षमय रहा है, जिसे देखकर बहुत कुछ सीखने मिलता है। भोंडवे ने कहा कि उज्जैन में उद्योग को पर्यटन की दृष्टि से देखता हूं। उन्होंने बताया कि विश्व में सबसे अधिक रोजगार और इनकम पर्यटन से ही होती है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि चावल की एक बोरी भरकर एक-एक चावल चढ़ाने पर बोरी के चावल खत्म हो जायेंगे लेकिन शहर के मंदिर खत्म नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ महपर्व पर 5 हजार करोड़ रुपये खर्च किया गया है जो दुनिया के किसी शहर के लिए इतना खर्च नहीं होता। 7 लाख की आबादी के शहर को 20 लाख आबादी वाले शहर की सुविधा दी गई है। सिंहस्थ में मिली इन सम्पत्तियों का संधारण मुश्किल काम है। उन्होंने बताया कि 104 जोड़ों की सर्वधर्म शादियां कराई गई और उज्जैन को विडींग डेस्टीनेशनल के जोडऩे के प्रयास भी किये जा रहे हैं। युवा स्टार्ट अप योजना में 100 युवाओं को जोड़ा जिसमें 50 प्रतिशत महिलाएं हैं। श्री महाकालेश्वर मंदिर को पुरस्कार भी मिला है। इस तरह उज्जैन में पर्यटन को ही उद्योग के रूप में विकसित किया जा सकता है। स्मार्ट सिटी में मलखम्ब और शिप्रा आरती को जोड़कर यह प्रयास आगे बढ़ाया जा रहा है।
अपराध रोकने में पुलिस जनप्रतिनिधि और जनता
पुलिस अधीक्षक सचिन अतुलकर ने अपने विषय अपराध रोकने में पुलिस, जनप्रतिनिधि और जनता की भूमिका पर बोलते हुए कहा कि सभी की जिम्मेदारी है, केवल पुलिस का दक्ष होना ही पर्याप्त नहीं है। हालांकि ट्रेनिंग और नये कोर्सेस के माध्यम से पुलिस को और अधिक दक्ष बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रभावशाली लोगों को आगे आकर पुलिस का सहयोग करना चाहिए। जनप्रतिनिधियों के सहयोग से कई बार जनता को समझाने के प्रयास किये जाते हैं। मीडिया का भी पुलिस के सहयोग में बड़ा योगदान रहता है। मीडिया द्वारा खामियां निकलने से सिखने मिलता है। उन्होंने बताया कि 10 वर्ष के अनुभव में जो सीखा है, वह सभी सामने रख रहा हूं।
पुष्पांजलि अर्पित
सभी आमंत्रिजनों ने ठा.शिवप्रतापसिंह चंदेल  के चित्र पर माल्यार्पण कर आदरांजलि दी। इस अवसर पर अतिथियों ने पुरस्कार सम्मान भी वितरित किये, जिनमें पत्रकारिता में दिये गये पुरस्कारों में रवीन्द्र रघुवंशी पत्रिका नागदा को 11 हजार रुपये का प्रथम पुरस्कार दिया गया। नईदुनिया के उज्जैन के धीरज गोमे को 5 हजार रुपये का द्वितीय पुरस्कार दिया गया। नवभारत उज्जैन के भूपेन्द्र भूतड़ा एवं अग्रिबाण के शीतलकुमार अक्षय को 2 हजार रुपये का सांत्वना पुरस्कार दिया गया। शहर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भी इस अवसर पर शाल-श्रीफल और प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया, जिनमें राधेश्याम उपाध्याय पूर्व महापौर एवं वरिष्ठ वकील, नरेन्द्र चौकसे पत्रकार, डॉ.सीएम त्रिपाठी केंसर यूनिट, राजेंद्र कुमार शर्मा शिक्षक एवं नीतिन डेविड एवं प्रतिभा डेविड को नि:शुल्क हेलमेट वितरित करने पर पुरस्कृत किया गया। इस कार्यक्रम में अग्रिपथ के सभी संवाददाताओं और एजेंटों को भी स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन श्रीराम दवे ने किया एवं आभार अग्रिपथ के संपादक अर्जुनसिंह चंदेल ने माना।

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